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    'बोधगया में लिए गए फैसले को मानेगी दुनिया', दलाई लामा बोले- शांति, दया-करुणा और जनहित की भावना को रखा जाए सर्वोपरि

    By Jagran NewsEdited By: Deepti Mishra
    Updated: Wed, 20 Dec 2023 04:34 PM (IST)

    दलाई लामा आगे कहा कि बोधिचित्त उत्पन्न करने के उपरांत ही बुद्ध ने भी 10 परिमिताओं का अनुशीलन किया था। बोधिचित का लाभ प्राप्त करने से मन शांत होता है। हम सभी को मन में शांति दया और करुणा के भाव का रखना होगा। दूसरों के हित में सोचना होगा। बुद्ध के उपदेश को आत्मसात करते हुए खुद पर प्रयोग भी करें।

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    दूसरों के हित के बारे में सोचें: दलाई लामा

     जागरण संवाददाता, बोधगया। यह वक्त है, जब बुद्ध के उपदेश को आत्मसात किया जाए। मन को शांत किया जाए और दूसरे के हित को सर्वोपरि रखा जाए। समझदारी और करुणा को प्राथमिकता दी जाए। ये बातें बुधवार को बिहार के बोधगया में दलाई लामा इंटरनेशनल संघ फोरम की ओर आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने कहीं।

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    दलाई लामा आगे कहा कि बोधिचित्त उत्पन्न करने के उपरांत ही बुद्ध ने भी 10 परिमिताओं का अनुशीलन किया था। बोधिचित का लाभ प्राप्त करने से मन शांत होता है। हम सभी को मन में शांति, दया और करुणा के भाव का रखना होगा। दूसरों के हित में सोचना होगा। बुद्ध के उपदेश को आत्मसात करते हुए खुद पर प्रयोग भी करें।

    उन्होंने कहा कि विश्व भर से बौद्ध अनुयायी इस संगोष्ठी में भाग लेने आए हैं। हम इस संगोष्ठी में जो भी मानवता के हित में जो भी फैसले लेंगे, उनको ये लोग यहां से लौटकर अपनी-अपनी सरकार को बताएंगे कि बोधगया में क्या निर्णय लिया गया। पहले वैज्ञानिक शोध करते हैं और शोध पूरा होने पर उसे अपनाने को कहते हैं।

    'यह मनुष्य के हित का धर्म है'

    कई वैज्ञानिक यह सवाल करते हैं कि बौद्ध धर्म का मनोविज्ञान क्या है तो मैं कहता हूं कि यह मनुष्य के हित का धर्म है। किसी भी धर्म को समझने के लिए अपने चित्त को ठीक करें। किसी काम को करते समय यह याद रखना चाहिए कि इससे किसी का अहित न हो। उन्होंने कर्म और फल के सिद्धांत की व्याख्या की।

    इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफीग्रेशन काम फेडरेशन की डायरेक्टर जनरल अभिजीत हालदार ने कहा कि बुद्ध के उपदेश में जो बातें कही गई थीं, वे आज भी प्रासंगिक हैं।  बता दें कि इस संगोष्ठी में 32 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दलाई लामा के संबोधन का 16 भाषाओं में अनुवाद किया गया। 

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