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कालचक्र पूजा में बोधगया पहुंचे दलाई लामा, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा कालचक्र पूजा में शामिल होने के लिए आज पहुंचे। चीन से उन्हें जान के खतरे को देखते हुए उनकी सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 07:22 AM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 10:23 PM (IST)

पटना [जेएनएन]। तिब्बती धर्मगुरु 14वें दलाई लामा आज बिहार के बोधगया पहुंचे। यहां होने वाले कालचक्र पूजा मेें शामिल होंगे। उनकी गतिविधियों पर चीन को हमेशा एतराज रहा है। भारतीय इंटेलिजेंस इनपुट्स के अनुसार बोधगया में उन्हें चीनी मूल की तिब्बती महिला सहित कुछ अन्य से खतरा है। इसे देखते हुए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), आइबी, एटीएस, एनएसजी सहित अन्य एजेंसिंयां सक्रिय हो गई हैं।

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तिब्बत मंदिर की सुरक्षा कड़ी

बोधगया पहुंचे दलाई लामा वहां के तिब्बत मंदिर में रहेंगे। इसे देखते हुए मंदिर की सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है। दलाईलामा को भारत सरकार द्वारा विशेष श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है। इसके अलावे उनकी सुरक्षा में एटीएस की भी तैनाती की गई है। तिब्बत मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार, कालचक्र मैदान के प्रवेश द्वार से लेकर कई अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर बंकर बनाए गए हैं।

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एनएसजी की भी ली जा रही मदद

उनकी जान को खतरे को देखते हुए सुरक्षा के लिए खुफिया एजेंसियों से लेकर एनएसजी तक की मदद ली जा रही है। आइबी इनपुट्स के आधार पर उनकी सुरक्षा में किसी तरह की चूक न हो, इसके लिए एनएसजी कमांडो को भी तैनात किया जा रहा है।

चीनी मूल की महिला कर सकती हत्या

इंटेलिजेंस इनपुट्स के अनुसार दलाई लामा को चीनी मूल की किसी तिब्बती महिला सहित कुछ अन्य से खतरा है। वे उनपर मौका देखकर बोधगया में हमला कर सकते हैं।

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धर्मशाला में निर्वासित जीवन जी रहे धर्मगुरु

चीन के अनुसार दलाई लामा लंबे समय से चीन विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। वे धर्म के नाम पर तिब्बत को चीन से अलग करने का प्रयास कर रहे हैं। चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद वहां से निर्वासित दलाई लामा भारत में वे धर्मशाला में रहते हैं।

प्रस्तावित अरूणाचल यात्रा से चीन नाराज

ताजा घटनाक्रम की बात करें तो दलाई लामा ने मार्च 2017 में अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की घोषणा की है। इससे भी चीन नाराज है। विदित हो कि चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है। इस वजह से वह वहां के यात्रियों को भी स्टेपल वीजा देता है, जिसका भारत विरोध करता है।


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