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    छठ-दिवाली पर उमड़ी भीड़, गया होकर चल रही पूजा स्पेशल ट्रेनों में दिखा लोकतंत्र का रंग

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 05:45 PM (IST)

    छठ और दिवाली के अवसर पर गया से गुजरने वाली पूजा स्पेशल ट्रेनों में यात्रियों की भारी भीड़ देखी गई। इन ट्रेनों में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने यात्रा की, जिससे लोकतंत्र का रंग दिखाई दिया। त्योहारों के चलते ट्रेनों में यात्रियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई।

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    गयाजी स्टेशन पर लगी यात्रियों की भीड़।

    सुभाष कुमार, गयाजी। दिवाली और छठ महापर्व के अवसर पर गुरुवार को गया जंक्शन पर एक बार फिर घर लौटते प्रवासियों की भीड़ उमड़ पड़ी। स्टेशन के हर कोने में सजे-बसे थैलों, खिलखिलाते बच्चों और अपनों से मिलने की आतुरता से भरे चेहरों की रौनक दिखाई दी। लेकिन इस बार यह चहल-पहल सिर्फ पर्व मनाने की नहीं, बल्कि विधानसभा चुनाव में मतदान करने के संकल्प की भी है।

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    त्योहारी भीड़ को देखते हुए रेलवे की ओर से गया होकर तीन जोड़ी पूजा स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया है। जिसमें गया-दिल्ली-गया स्पेशल,धनबाद-दिल्ली-धनबाद स्पेशल एवं सीएसएमटी-आसनसोल-सीएसएमटी एसी स्पेशल शामिल है। साथ ही गया-आनंद विहार स्पेशल ट्रेन की परिचालन अवधि को भी बढ़ा दिया गया है। दिल्ली-एनसीआर से आने वाले यात्रियों को बड़ी राहत मिली है।

    दैनिक जागरण टीम ने गुरुवार को गया जंक्शन पर पहुंचे उन प्रवासी यात्रियों से बातचीत की जो सिर्फ पर्व ही नहीं, बल्कि चुनाव में हिस्सा लेने के लिए भी घर लौटे हैं। दिल्ली से नवादा जिले के हिसुआ निवासी सुशील चौधरी का कहना है कि दिवाली और छठ हर साल आते हैं, लेकिन बिहार की दिशा तय करने वाला चुनाव बार-बार नहीं आता। इस बार शिक्षा और रोजगार जैसे अहम मुद्दों पर वोट डालना हमारा फर्ज है। मुंबई से लौटे गया के वजीरगंज निवासी अखिलेश प्रसाद कहते हैं कि त्योहारों के साथ-साथ इस बार प्रदेश के भविष्य को भी ध्यान में रखकर लौटे हैं। वहीं, गुरूआ के अमरेंद्र पंडित और बाराचट्टी के शलेंद्र पासवान जैसे दर्जनों प्रवासियों ने भी यही कहा कि वे इस बार केवल घर नहीं लौटे हैं, बल्कि अपने वोट की ताकत दिखाने आए हैं।

    गया जंक्शन के स्टेशन प्रबंधक टू मिथलेश कुमार ने कहा कि इस बार यात्री संख्या में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी जा रही है। वहीं बातचीत में राजनीतिक जागरूकता की झलक भी दिखाई देती है। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक में वोट देने को लेकर अलग ही जोश है। रेलवे के विशेष प्रयासों और यात्रियों की लोकतांत्रिक चेतना ने इस बार की दिवाली और छठ को खास बना दिया है। गया जंक्शन महज एक ट्रांजिट प्वाइंट नहीं, बल्कि अब लोकतंत्र और संस्कृति के संगम का प्रतीक बन गया है।