बोधगया में HAM पार्टी के बागियों ने बिगाड़ा NDA का खेल, श्यामदेव पासवान 881 वोट से चुनाव हारे
बोधगया में HAM पार्टी के बागियों के कारण NDA को नुकसान हुआ और श्यामदेव पासवान 881 वोटों से हार गए। बागियों ने NDA के वोट काटकर विपक्षी उम्मीदवार को फायदा पहुंचाया, जिससे श्यामदेव पासवान की हार का कारण बना।

श्यामदेव पासवान 881 वोट से हारे। फोटो जागरण
सुभाष कुमार, गयाजी। बोधगया विधानसभा चुनाव के परिणाम ने इस बार चौंका दिया। एनडीए समर्थित लोजपा (रामविलास) प्रत्याशी श्यामदेव पासवान मात्र 881 वोट से हार गए। उन्हें कुल 99,355 वोट मिले, जबकि महागठबंधन के राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत ने 1,00,236 वोट हासिल कर मामूली अंतर से जीत दर्ज की। लेकिन इस हार की असली वजह जिस पर राजनीतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है हम पार्टी के बागी नेताओं का प्रभाव।
हम पार्टी से बगावत कर निर्दलीय लड़ रहे नंदलाल मांझी ने अकेले ही 10,181 वोट हासिल किए। यह वोटों की संख्या एनडीए प्रत्याशी की हार के अंतर से कई गुना अधिक है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नंदलाल मांझी का कढ़ाई छाप चुनाव चिन्ह मिलना भी वोटों में बढ़ोतरी का बड़ा कारण बना। गांवों और मजदूर तबके के बीच उनकी व्यक्तिगत पकड़ भी भारी पड़ी।
इसी तरह हम पार्टी के एक और बागी लक्ष्मण मांझी ने जन सुराज पार्टी का दामन थामकर चुनाव लड़ा और 4,024 वोट बटोरे। दोनों बागियों के कुल मिलाकर 14 हजार से अधिक वोट सीधे मुकाबले को त्रिकोणीय बना गए। यही वोट एनडीए के पारंपरिक सामाजिक समीकरण को भी नुकसान पहुंचाते दिखे।
स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि बागी मैदान में नहीं आते, तो नतीजा पूरी तरह अलग हो सकता था। मतगणना के दौरान कई बार रुझान एनडीए के पक्ष में दिखे, लेकिन अंतिम चरणों में महागठबंधन की बढ़त स्थिर होती चली गई। वहीं, एनडीए खेमे में वोटों का बिखराव साफ दिखा।
बागियों की मौजूदगी ने एनडीए समर्थकों को मायूस कर दिया है। कार्यकर्ताओं के बीच यह चर्चा दिनभर छाई रही कि सामाजिक आधार वाले इन दोनों बागियों ने अंतिम समय में समीकरण बिगाड़ दिया।
बोधगया सीट पर उनकी उपस्थिति ने मुकाबले को रोमांचक तो बनाया, पर एनडीए समर्थकों के लिए यह बेहद भारी पड़ गया। बोधगया की यह लड़ाई साबित कर गई कि चुनावी रण में कभी-कभी जीत का फैसला सिर्फ बड़े गठबंधन नहीं, बल्कि छोटे बागियों की ओर झुक जाता है।

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