बेटी बनी सहारा: हैदराबाद में नौकरी कर पूरे लॉकडाउन में परिवार का पेट पाला, बोली- थैंक्स जीविका
कहा जाता है घर में बेटी का जन्म होने के बाद पूर्वज एवं महिलाएं उदास हो जाती है। लेकिन गया जिले के बाराचटटी प्रखंड के बांकी गांव की रहने वाली एक बेटी की मां शांति देवी को अपनी बेटी पुष्पा कुमारी पर गर्व है।
संवाद सूत्र, बाराचट्टी (गया)। कहा जाता है घर में बेटी का जन्म होने के बाद पूर्वज एवं महिलाएं उदास हो जाती है। लेकिन गया जिले के बाराचटटी प्रखंड के बांकी गांव की रहने वाली एक बेटी की मां शांति देवी को अपनी बेटी पुष्पा कुमारी पर गर्व है।
वह कहती है कि आज के समय में बेटी-बेटा से कम नहीं है। क्योंकि बीते वर्ष मार्च महीने से लॉकडाउन की मार को झेलने के बाद अच्छे अच्छों का होश उड़ गया। बिजनेस से लेकर दो पैसे की आमदनी तक बट्टा लगने लगी थी। लोग भूखों मरने की स्थिति में आ गए थे कोई भूखे ना मरे सरकार इसके लिए मुफ्त में अनाज बटवा रही थी। परंतु शांति की इकलौती बेटी पुष्पा इस जंग में अपने परिवार को साथ देने के लिए प्रदेश से कमाकर हर महीने 19 हजार 700 रुपया मां के पास बैंक खाते के माध्यम से भेजती रही ताकि उसके घर की नैया डगमग ना हो सके।
जीविका का प्रयास से मिली बेटी को नौकरी
बांकी गांव की शांति देवी बताती है कि जीविका से आज मैं काफी दिनों से जुड़ी हूं। हम लक्ष्मी जीविका समूह की अध्यक्ष अपने गांव में हैं। बीते वर्ष दीनदयाल ग्रामीण कौशल योजना के अंतर्गत हमारी बेटी को पढ़े - लिखे होने के कारण पटना में छह महीने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण करने के बाद जब पुष्पा वापस लौटी तो जीविका के बीपीएम अजय कुमार मिश्रा ने बेटी से रोजगार करने की बात पूछी। घर की आर्थिक तंगी और गरीबी को देखते हुए मैंने भी बेटी को प्रदेश में नौकरी करने का इच्छा जता दी। जीविका के माध्यम से बीते वर्ष हैदराबाद में बेटी को नौकरी मिली जो हमलोगों के लिए लॉकडाउन जैसे विडंबना में बहुत बड़ा मदद साबित हुआ ।आज बेटी की कमाई और उसके लगन मेहनत से हमलोग काफी खुश हैं। पुष्पा के पिता महेंद्र प्रसाद रांची में मजदूरी का काम कर किसी तरह घर चलाते थे परंतु अब बेटी प्राइवेट नौकरी मे होने से घर चलाने में पिता को बहुत बड़ा सहयोग मिल रहा है।
हर महीने अपना खर्चा रखकर मां को भेज देती थी पैसा
हर महीने पैसा मिलने के बाद अपना खर्च रखकर पुष्पा कुमारी घर में खर्चे के लिए हैदराबाद से बैंक खाते के माध्यम से पैसा भेज देती थी। जिससे घर में कभी भी पापा मम्मी एवं भैया यह महसूस नहीं किए की लोक डॉन की स्थिति है। पुष्पा एक बहन और एक भाई है ।पुष्पा कहती है कि जीविका लोगों को सिर्फ जोड़ती ही नहीं है बल्कि एक अच्छे रास्ते देते हुए बेरोजगारी जैसे कोढ को समाप्त करने की भी प्रयास कर रही है। वह बताती है कि हमारे साथ इस क्षेत्र से लगभग 50 से 60 लड़की और लड़के बाहर में काम कर दो पैसे की अच्छी आमदनी अच्छे माहौल में कर रहे हैं।