बेला को दर्जा आदर्श गांव का, पर रो रहा बदहाली पर
प्रखंड मुख्यालय से मात्र दस किलोमीटर दूर स्थिति बीबी पेसरा पंचायत ।
[अमित कुमार सिंह] बाराचट्टी।
प्रखंड मुख्यालय से मात्र दस किलोमीटर दूर स्थित बीबी पेसरा पंचायत का आदर्श गांव बेला आज अपनी बदहाली पर आसू बहा रहा है। जीटी रोड से गाव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होना सबसे बड़ी परेशानी है। पंचायत व गाव में विकास की नींव डालने वाले पंचायत प्रतिनिधियों ने भी अपने कर्त्तव्य से मुंह मोड़ लिया है। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से विकास के लिए दो वर्ष पूर्व प्राथमिकता के आधार पर तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रणव कुमार गिरि द्वारा गाव को चयनित किया गया। इस योजना से आज तक गाव में न तो एक ईट लग पाई है और न ही हर घर को नल-जल उपलब्ध कराया गया है।
2500 की आबादी वाले इस गांव में सरकारी चापाकल लगे हैं, लेकिन महीनों से मरम्मत की बाट जोह रहे हैं। ग्रामीणों ने कई दफा चंदा कर मरम्मत करने की कोशिश की, पर कोई फायदा नहीं हुआ।
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खाट पर लाद मरीज को ले
जाना पड़ता है अस्पताल
ग्रामीण उपेंद्र यादव, पूर्व उपमुखिया नथुन पासवान, ललिता देवी, बिपुल कुमार बताते हैं, बरसात के तीन माह हमलोगों के लिए सबसे मुश्किल भरे दिन होते हैं। इस दौरान कोई बीमार पड़ जाए तो गंभीर स्थिति में खाट पर टाग कर जीटी रोड तक पहुंचते हैं। वहां से वाहन से अस्पताल पहुंचाया जाता है। कोई सामान बाजार से जाकर लाना पड़े तो पूरा दिन निकल जाता है।
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नाम के लिए आदर्श
बेला गाव को वर्ष 2009 में आदर्श ग्राम का दर्जा मिला था। यहा 40 लाख रुपये विकास के नाम पर खर्च हुए, पर कुछ नजर नहीं आ रहा है। गाव मे जहा-तहा पीसीसी कार्य किए गए हैं। गलियों मे नाली बनी, परंतु उस पर ढक्कन नहीं डालने के कारण उसमें प्रत्येक दिन बच्चे-बूढे गिरते हैं। गंदगी से बजबजाती नालियां बीमारियों को न्योता दे रही हैं। एक सामुदायिक भवन का निर्माण हुआ, जो गाव वालों के लिए कारगर साबित हुआ है।
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मुख्यमंत्री सात निश्चय
योजना से नहीं हुआ काम
वर्ष 2017 में बेला गाव को अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल गाव होने के कारण तत्कालीन बीडीओ ने मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से गाव के विकास के लिए प्राथमिकता के आधार पर चयनित किया था। पंचायत से अब तक ग्राम वार्ड क्रियान्वयन समिति को राशि का भुगतान नहीं किया गया। इसके कारण इस गाव में गली-नाली एवं नल-जल योजना का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है।
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क्या करें हमलोगों की कोई सुनने वाला नहीं है। कुएं का प्रदूषित पानी ही पीते हैं। कई बार पानी में कीड़े मिले हैं। दूषित पानी के कारण कई बार लोग बीमार भी पड़े हैं। पानी को छानकर और इसे उबाल कर पी रहे हैं। मुखिया हो या सरपंच कोई सुननेवाला नहीं है। बेला गाव की तेतरी देवी कहती हैं, हमारा पूरा परिवार कुएं का गंदा पानी पीकर बीमार हो गया। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण चापाकल नहीं लगा सकते। चापाकल की मरम्मत हो जाती तो कम से कम बीमारी से बच जाते।
-पार्वती देवी
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सरकार की योजनाओं का लाभ हमलोगों को नहीं मिल पा रहा है। गाव का विकास होना तो दूर की बात है, मुख्य पथ से गाव तक के लिए सड़क नहीं बनी है। काम की तलाश में गाव के लोग प्रदेश में ईट-भट्ठे पर तो कोई फैक्ट्री मे मजदूरी कर रहा है। मनरेगा हो या फिर सरकार की अन्य कोई योजना, यहा कोई काम नहीं हो रहा है।
नंद कुमार सिंह
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ठेला चलाकर बाल-बच्चों के साथ अपना पेट पाल रहे हैं। गाव का विकास तो दूर शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। मुखिया हो या पंचायत सेवक गाव की ओर झांकते भी नहीं।
-जगदेव पासवान
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हमलोगों को आज चार महीने से पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इससे हम गरीबों को बहुत उम्मीद रहती है। बुढ़ापे का बहुत बड़ा सहारा है। लेकिन इसमें भी कठिनाई है।
-दार सिंह, बीबी पेसरा पंचायत के पूर्व सरपंच
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कई बार सात निश्चय योजना की राशि की माग मुखिया और पंचायत सचिव से की। पैसा आवंटन नहीं कराने की शिकायत बीडीओ से की है, परंतु आज तक कोई फायदा नहीं हुआ। हम कहा से अपने गाव या वार्ड का विकास कर पाएंगे।
-बेवी देवी, वार्ड क्रियान्वयन समिति की अध्यक्ष
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पैसा लेने वाला कोई नहीं है। बेला गाव में विभिन्न योजनाओं का प्राक्कलन वार्ड क्रियान्वयन समिति के द्वारा बनाया गया, परंतु काम करने के लिए कोई तैयार रहेगा तब हम पैसे का भुगतान करेंगे। कई बार चेक काटकर हमने रखा। वह बाउंस कर गया, पर कोई लेने को तैयार ही नहीं। गाव का विकास हो इसके लिए हम हर वक्त तैयार हैं।
तुलसी पासवान, मुखिया ग्राम पंचायत बीबी पेसरा, बाराचट्टी
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