बख्तियार खान का मकबरा आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय, देख-रेख के अभाव में बदहाली का झेल रहा दंश
चैनपुर पंचायत में स्थित ऐतिहासिक बख्तियार खान का मकबरा लोगों के बीच लगातार अपनी भव्यता को लेकर आकर्षण का केन्द्र रहा है। स्थानीय लोग सहित दूरदराज के पर्यटक मकबरा घूमने पहुंचते हैं। जिसकी माप लगभग 88/70 मीटर है जहां पूर्वी मुख्य द्वार से पहुंचा जा सकता है।

संवाद सूत्र, चैनपुर (भभुआ)। प्रखंड क्षेत्र के चैनपुर पंचायत में स्थित ऐतिहासिक बख्तियार खान का मकबरा लोगों के बीच लगातार अपनी भव्यता को लेकर आकर्षण का केन्द्र रहा है। स्थानीय लोग सहित दूरदराज के पर्यटक मकबरा घूमने पहुंचते हैं। बनाए गए मकबरे के भव्यता की बात करें तो बख्तियार खान का यह मकबरा प्लिंथ पर खड़ा है। जो सासाराम में स्थित हसन शाह के मकबरे से मिलता-जुलता है। यह मकबरा चारों ओर से आंतरिक दीवारों से घिरा है। एक ऐसी वृहद कोर्ट है। जिसकी माप लगभग 88/70 मीटर है, जहां पूर्वी मुख्य द्वार से पहुंचा जा सकता है।
प्रवेश के लिए बनाया गया है भव्य तोरण द्वार
मकबरे के अंदर प्रवेश करने के लिए भव्य तोरण द्वार का निर्माण किया गया है जिसके दोनों ओर से दो मंजिला कक्ष भी बना हुआ है। इसके अंदर उत्तर और दक्षिण में दो छोटे-छोटे दरवाजे हैं। इसके चारों कोनों में एक वर्गाकार गुंबदीय कक्ष भी है। यह मकबरा मुख्यता अष्टकोणीय है जिसकी बाहरी व्यास लगभग 42 मीटर है। बारामदा की छत पर 24 छोटे-छोटे गुंबद है। जिसमें अष्टकोण के प्रत्येक भाग में तीन-तीन गुंबद है। अष्टकोण के कोनों पर स्थित मुख्य गुंबद भव्य व सुंदर गुंबदीय स्तंभ से सुसज्जित है।
मकबरे के शिखर को सजाने के लिए भी समरूप गुंबद का किया गया है उपयोग
मकबरे के शिखर को भव्यता से सजाने के लिए भी समरूप गुंबद का प्रयोग किया गया है। गुंबदीय कक्ष की आंतरिक माफ लगभग 7 मीटर है। जिसमें 30 कब्र बने हुए हैं। तथा उसी में एक बख्तियार खान का भी कब्र है।
बुकानन पुरातत्वविद् के रिपोर्ट के मुताबिक बख्तियार खान फतेह खान का पिता था। जो अफगान के शासक शेरशाह सूरी की पुत्री से विवाह किया था। कुछ ऐसी भी कबरें हैं जो खुले कब्रिस्तान में फैले हुए हैं। जिसकी कोई जानकारी या अन्य कोई उल्लेख नहीं है। मकबरा में जो शिलालेख है वह कुरान तथा परसियन द्विपदी से ली गई है।
स्थापत्य कला विवेचना के आधार पर यह मकबरा 16वीं - 17वीं शताब्दी का है। इस मकबरे की देखरेख के लिए दो दरबान नियुक्त किए गए हैं जिसमें एक ग्राम नौघरा के निवासी रजीउल्लाह खान जबकि दूसरा रामगढ़ मुंडेश्वरी के निवासी भोला सिंह थे। जो सेवानिवृत्त हो गए हैं। वर्तमान में नौघरा के निवासी रजिउल्लाह खान के द्वारा ही मकबरे की रखवाली की जाती है।
4 वर्ष पूर्व कुछ बारामती का किया गया था कार्य
मौके पर मौजूद दरबान रजिउल्ला खान से जानकारी ली गई तो उनके द्वारा बताया गया कि 4 वर्ष पूर्व मकबरे की गई घेराबंदी जो कि क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। जिसकी मरम्मत करवाई गई एवं मकबरे के तोरण द्वार के आगे भी बाउंड्री वाल का निर्माण करके घेराबंदी की गई थी। जिसके उपरांत अन्य कोई और निर्माण कार्य नहीं हुआ है।
मकबरे की वर्तमान स्थिति
बख्तियार खान के मकबरे की वर्तमान स्थिति की बात की जाए तो आंतरिक दीवारों के अंदर भारी मात्रा में घास फूस उगे हुए हैं। जहां सांप बिच्छू का भी प्रकोप मौजूद है। स्थानीय पर्यटक एवं दूरदराज से आने वाले पर्यटकों के लिए अन्य सुविधाओं की बात तो दूर महिला एवं पुरुषों के लिए एक शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। पीने के पानी के लिए एक हैंडपंप मौजूद है। उसी के सहारे आने वाले पर्यटक अपनी प्यास बुझाते हैं। बताया जाता है कि काफी समय पहले मकबरे के आंतरिक दीवारों के बाहर रोड की पूरब दिशा में एक गार्ड रूम है। जहां मकबरे के देखभाल के लिए। सुरक्षा बल मौजूद रहते थे। एवं वहीं रहकर अपना भोजन तैयार कर उसी में निवास करते थे। वर्तमान समय में गार्ड रूम की स्थिति दयनीय है। असामाजिक लोगों के द्वारा उसके खिड़की दरवाजे तक उखाड़ लिए गए हैं, जिस की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
रखरखाव एवं विधि व्यवस्था से संबंधित जानकारी लेने पर पुरातत्व विभाग के रोहतास एवं कैमूर के सीए अमृत झा के द्वारा बताया गया कि बख्तियार खान के मकबरे पर आने वाले पर्यटकों के लिए शौचालय का निर्माण करवाया जाना है। जिसके लिए पटना प्रपोजल भेजा जाएगा। जब उनसे यह सवाल किया गया कि ऐतिहासिक धरोहर है जिसकी देखरेख उपेक्षा की शिकार है। दूरदराज से आने वाले लोगों के लिए रहने सहित अन्य और कोई भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। जिस पर उनके द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय में उस मकबरे तक आसपास के गांव के लोग ही शुक्रवार एवं शनिवार को पहुंचते हैं। जिनके लिए शौचालय का निर्माण करवाया जाएगा।
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