Durga puja: सभी भक्तों की मन्नतें पूरी करती हैं औरंगाबाद की मां सत्यचंडी, यहां गिरा था मां का हाथ, दिखते हैं प्रमाण
रायपुरा गांव में बटाने नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित मां सत्यचंडी का मंदिर है। यह सिद्धपीठ है। मंदिर में माता रानी विराजमान हैं। यहां मां सती का रक्तरंजित हाथ गिरा था। आज भी मां सती के अंग यहां गिरने का प्रमाण पुजारी दिखाते हैं।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद : जिले के सदर प्रखंड के रायपुरा गांव में बटाने नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित मां सत्यचंडी का मंदिर है। यह सिद्धपीठ है। मंदिर में माता रानी विराजमान हैं। यहां मां सती का रक्तरंजित हाथ गिरा था। आज भी मां सती के अंग यहां गिरने का प्रमाण पुजारी दिखाते हैं। रक्तरंजित हाथ का जो भी दर्शन करते हैं उनकी सभी मन्नतें पूरी होती है। नवरात्र में इस मंदिर का विशेष महत्व है। हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन और पूजन करने आते हैं। श्रद्धालुओं की सभी मन्नतें यहां पूरी होती है।
मंदिर की विशेषता
मां सत्यचंडी की विशेषता है कि यहां जो भी श्रद्धालु आते हैं, भक्ति भाव से पूजा करते हैं उनकी सभी मन्नतें पूरी होती है। मंदिर के गर्भगृह में एक अनादि काल से वृक्ष है जिसका आजतक पता नहीं चला है कि कितना पौराणिक है। आचार्य रामप्रवेश मिश्र के अनुसार वृक्ष कितना पौराणिक है किसी को पता नहीं है। वृक्ष के छांव तले की माता रानी विराजमान हैं। मंदिर को त्रेतायुगीन बताते हैं।
पहले थी बलि देने की प्रथा
यहां पहले बलि देने की प्रथा थी। ग्रामीण राकेश कुमार ने बताया कि करीब 70 साल पहले बलि देने की प्रथा थी तब यहां संत अलख बाबा आए और इसका विरोध किया। बताया कि बलि देने के दौरान एक व्यक्ति का तलवार हाथ से गिर गया और टूट गई। वह व्यक्ति गिरकर मूर्क्षित हो गया तभी से यहां बलि प्रथा बंद हो गई। बताया कि जब बलि दी जाती थी तो इलाके में दरिद्रता थी। लोग रोगग्रस्त और परेशान रहते थे। बंद होने से इलाके में खुशहाली आई। रायपुरा गांव के निवासी मुखिया सुजीत कुमार सिंह बताते हैं कि माता सत्यचंडी की महिमा वेद और कुछ धर्मग्रंथों में भी उल्लेखित है। इसे पर्यटन के रुप में विकसित करने की आवश्यकता है।
ऐसे पहुंचे मंदिर
आचार्य विनय कुमार पांडेय बताते हैं कि माता रानी के मंदिर में पहुंचने का मुख्य मार्ग जीटी रोड से है। जीटी रोड एनएच 2 रायपुरा गांव मोड़ से यह मंदिर करीब तीन किमी दक्षिण दिशा में है। पहुंचने के लिए पक्की सड़क है। माता सती का यहां रक्तरंजित हाथ गिरा था इसलिए इसका नाम सत्यखंडी पड़ा बाद में सत्यचंडी के रुप में विख्यात हुई। यहां काली, सरस्वती और लक्ष्मी की भी प्रतिमा दर्शनीय है।
रायपुरा गांव निवासी विधायक आनंद शंकर सिंह बताते हैं कि मंदिर के विकास के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। पर्यटन विभाग के तहत विकास और यहां पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में महोत्सव मनाने के लिए के लिए पर्यटन मंत्री को पत्र लिखा जाएगा।
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