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    पीली सरसों की खेती कर समृद्धि ला रहे अशोक, काली सरसों से अधिक कीमत पर बिकती है पीली सरसो

    By Prashant Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 09 Apr 2022 10:15 AM (IST)

    कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ लेकर कभी दो सीजन की फसल का उत्पादन करने वाले किसान आज अपने खेत में पूरे वर्ष किसी न किसी फसल का उत्पादन कर रहे हैं। इसी तरह का कार्य चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के जगरियां गांव के किसान अशोक कुमार सिंह कर रहे।

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    खेतों में लहलहा रहे पीली सरसों की खेती की सांकेतिक तस्वीर

     जागरण संवाददाता, भभुआ: जिले के किसान अब खेती में नए-नए तौर तरीकों को अपना कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ लेकर कभी दो सीजन की फसल का उत्पादन करने वाले किसान आज अपने खेत में पूरे वर्ष किसी न किसी फसल का उत्पादन कर रहे हैं। इसी तरह का कार्य चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के जगरियां गांव के किसान अशोक कुमार सिंह कर रहे हैं। वर्तमान में वे खरीफ व रबी फसल के अलावा सब्जी, मूंगफली, मूंग, उड़द सहित अन्य तरह की खेती भी कर रहे हैं। लेकिन इसमें सबसे खास बात यह है कि वे अन्य किसानों से हट कर पीला सरसों का उत्पादन कर रहे हैं। इससे वे अच्छा मुनाफ भी कमा रहे हैं। 

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    महंगी बिकती है पीली सरसो

    किसान अशोक कुमार सिंह ने बताया कि काली सरसो की अपेक्षा पीली सरसों महंगी बिकती है। इसके उत्पादन में बहुत मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। बाजार में 15 सौ रुपये प्रति क्विंटल काली सरसों से पीला सरसों की कीमत मिलती है। किसान ने बताया कि अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह से लेकर दस नवंबर तक इसकी बोआई कर दी जाती है और फरवरी के दूसरे सप्ताह में कटनी होती है। प्रति एकड़ लगभग सात क्विंटल का उत्पादन होता है। इसकी दो बार सिंचाई करनी पड़ती हैं, लेकिन सिंचाई में इसका मिनी स्प्रिंकलर से स्प्रे किया जाता है। 

    सब्जी की खेती से भी करते हैं अच्छी आमदनी

    किसान ने बताया कि वे पीला सरसो के अलावा धान, गेहूं, तीसी आदि के अलावा सब्जी की खेती भी करते हैं। सब्जी की खेती से अच्छी आमदनी होती है। वे लौकी, नेनुआं, धनिया, बोदी, भिंडी, सहित अन्य सब्जी की खेती करते हैं। आज गांव के अन्य किसान भी उनके खेती के तौर तरीकों का अनुश्रवण कर रहे हैं। उनके खेती करने में उनकी पुत्री पूरा सहयोग करती है। सब्जी का उत्पादन होने के बाद व्यवसायी वाहन लेकर खेत पर आते हैं और सब्जी बिक्री के लिए ले जाते हैं। 

    बेटी की प्रेरणा से लगाया मिनी स्प्रिंकलर

    उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 के बाद बेटी अनुराधा की प्रेरणा से मिनी स्प्रिंकलर लगाया। इसके बाद उनके खेती का तरीका भी बदला। इसके पूर्व वे सिर्फ दो सीजन की खेती करते थे। इसमें खरीफ व रबी फसल शामिल है। लेकिन मिनी स्प्रिंकलर लगाने के बाद पूरे वर्ष खेत में कुछ न कुछ खेती करते हैं। इससे जो तीसरी फसल की खेती होती है वह पूरी तरह लाभ देती है। 

    खेती की बदौलत पूरे परिवार का करते हैं भरण-पोषण

    किसान ने बताया कि उनको एक पुत्र व एक पुत्री है। जब मिनी स्प्रिंकलर नहीं लगा था उसके पहले खेती से बहुत आमदनी नहीं होती थी। लेकिन जब से यह लगा तब से पूरे वर्ष खेती करते हैं। इससे अच्छी आमदनी होती है। खेती की बदौलत ही पूरे परिवार का भरण पोषण सहित अन्य तरह का खर्च करते हैं।