उत्कृष्ट राष्टीय धरोहर के रूप में नामित है पालकालीन कोंचेश्वर नाथ की मंदिर
गया। भारतीय सभ्यता व संस्कृति की अनेक गाथाएं हमेरा इतिहास में दर्ज है। मगध की धरती भी इससे पेज- फोटो 58 ह्वेनसाग बुकनान कटोग्रियसन कनिंघम व बुच ने भी मंदिर के महत्व को स्पष्ट कर चुके हैं इंडियन हेरिटेज एंड कल्चर नामक पुस्तक में कोंच के बारे में है विस्तार से वर्णण संवाद सूत्र कोंच
गया। भारतीय सभ्यता व संस्कृति की अनेक गाथाएं हमेरा इतिहास में दर्ज है। मगध की धरती भी इससे समृद्ध रही है। ऐसा ही एक उदाहरण है कोंच प्रखंड मुख्यालय से महज एक किलोमीटर उत्तर कोण पर अवस्थित कोंच का प्राचीन कोंचेश्वर नाथ मंदिर। इस मंदिर की ऊंचाई 105 फीट है। यह छह ऊंचे आयताकार प्लेटफार्म पर निर्मित है। इससे जुड़े 32 फीट के ग्रेनाईट पत्थर का सभा भवन है। सभा कक्ष के मुख्य द्वार पर गणेश, कार्तिकेय, सूर्य, गरगौरी, विष्णु, कुबेर, बुद्ध, महिषासूर मर्दनी, शिव की मूर्तिया है। यहां पुरातत्ववेता बेगलर 1965 में आए थे। जिन्होंने अपनी पुस्तक 'इंडियन हेरिटेज एंड कल्चर' में कोंच के बारे में विस्तार से लिखा है। यहा आने वाले ह्वेनसाग, बुकनान,, कटोग्रियसन, कनिंघम व बुच ने भी मंदिर के महत्व को स्पष्ट करते हुए इसे पुरावशेषों से भरपूर व्यापक संभावनाओं का स्थल बताया है। इसका जिक्र लेखक डीआर पाटिल ने भी किया। कनिंघम ने मंदिर को पालकालीन धरोहर बताया है। यहा खुदाई करने पर अनेक दुर्लभ मूर्तियों व पुरावशेषों की मिलने की संभावना व्यक्त की गई है। वर्तमान में भी यहा बुद्ध व विभिन्न देवी देवताओं की 85 मूर्तिया सुरक्षित रखी गई है। इस मंदिर को 1996 में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा उत्कृष्ट राष्टीय धरोहर के रूप में नामित किया गया है। पुरातत्व विभाग पटना द्वारा 2001 में दस लाख रुपये खर्च भी किए, लेकिन आज तक विशेष कार्य नहीं हो पाया है। आस्था के केन्द्र के पर्यटन स्थल बनाने की पूरी संभावनाएं मौजूद है। लेकिन सरकार इसपर विशेष गंभीर नहीं दिख रही है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।