अकेला किसान भी ड्रम सीडर से कर सकता धान की बोआई, लागत भी कम, रोहतास में किसानों को पसंद आया यह तरीका
कृषि विज्ञान केंद्र बिक्रमगंज से कृषि वैज्ञानिक डा. रतन कुमार ड्रम सीडर लेकर सुरहुरिया गांव पहुंचे थे। सुरहुरिया गांव में ड्रम सीडर से किसानों ने खेती शुरू की है। धान की सीधी बोआई का तरीका अब किसानों को भा रहा है। जानिए ड्रम सीडर से बोआई के फायदे।

सूर्यपुरा (रोहतास), संवाद सूत्र । बदलते परिवेश में धान की सीधी बोआई का तरीका अब किसानों को भा रहा है। प्रखंड के सुरहुरिया गांव में बुधवार को अगरेड़ कला के सरपंच सत्यानंद राम, किसान भिखारी सिंह, परमहंस सिंह, सत्यदेवसिंह, अवधेश राम समेत अन्य किसानों की खेतों में कृषि विज्ञान केंद्र की देखरेख में ड्रम सीडर से धान की सीधी बोआई की गई। साथ ही अन्य किसानों ने ड्रम सीडर से बोआई व उसकी विशेषता को जाना। कृषि विज्ञान केंद्र बिक्रमगंज से कृषि वैज्ञानिक डा. रतन कुमार ड्रम सीडर लेकर सुरहुरिया गांव पहुंचे थे।
वैज्ञानिकों ने गिनाए ड्रम सीडर के फायदे
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार ड्रम सीडर का वजन 20 किलोग्राम होता है, जिसे कहीं भी उठाकर ले जाया जा सकता है। इसमें चार ड्रम लगे होते है और प्रत्येक ड्रम में तीन किलो बीज रखा जाता है। इस विधि से बोआई के लिए सबसे पहले बीज को 12 घंटों के लिए पानी में छोड़ा जाता है। इसके बाद उपचार के लिए कार्बेंडाजीम दो ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर जूट के बोरे में बांध कर 20 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। बीज में हल्का अंकुरण होने के बाद ही बोआई के लिए ड्रम में रखा जाता है। बोआई वाले खेत में पानी की अधिक मात्रा नहीं रहनी चाहिए, लेकिन खेत में कीचड़ होना आवश्यक है। कोई भी अकेला किसान यह मशीन लेकर धान की बुआई कर सकता है। ड्रम सीडर मशीन में बीज भरने के लिए चार प्लास्टिक के खोखले ड्रम लगे होते हैं, जो कि एक बेलन पर बंधे रहते हैं। बेलन के दोनों किनारों पर पहिए होते हैं। इसका व्यास लगभग 60 सेंटीमीटर तक होता है। प्लास्टिक के इन ड्रम में दो पंक्तियों पर लगभग आठ से नौ मिलीमीटर व्यास के छेद बने रहते हैं। ड्रम सीडर मशीन को खींचने के लिए एक हत्था भी लगा होता है। किसान जैसे-जैसे आगे बढ़ता जाएगा, बीज स्वत: बोते चलें जाएंगे। ड्रम विधि से अगर कोई किसान इस वक्त धान की बोआई करता है तो कम से कम उसका 21 दिन का समय बच जाएगा।
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