सीसीटीएनएस से जुड़े जिले के 30 थाने, राज्य में पहली रैंकिग
जिले के 30 थाना को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) से जोड़ा गया है। ...और पढ़ें

औरंगाबाद। जिले के 30 थाना को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) से जोड़ दिया गया है। केवल अपना भवन नहीं होने के कारण बंदेया एवं बड़ेम ओपी इस सिस्टम से नहीं जुड़ पाए हैं। सीसीटीनएस के बाद थानों को सीसीटीवी से लैस किया जा रहा है। इसके लिए सभी थानों में कंप्यूटर का पूरा सिस्टम के साथ एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट उपलब्ध कराया गया है। एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट में थानों के सिपाही को कंप्यूटर का प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया गया है। एसपी सुधीर कुमार पोरिका ने बताया की पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिले के मात्र दो थाना बंदेया एवं बड़ेम ओपी को छोड़कर सभी 30 थाना सीसीटीएनएस से जुड़ गए हैं। इसके लिए थानों में कंप्यूटर ऑपरेटर के रुप में सिपाही की तैनाती की गई है। थानों में इंटरनेट कनेक्शन के साथ कंप्यूटर का पूरा संसाधन उपलब्ध करा दिया गया है। जिले के लगभग सभी थानों में सीसीटीएनएस सिस्टम लागू हो जाने से यह जिला पूरे राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया है। सीसीटीएनएस से जोड़ने की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को सौंपा गया है। एसपी ने बताया कि सभी थानों में सीसीटीवी लगाया जा रहा है। इन दोनों महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए आम लोगों को काफी सहूलियत होगी। थाना का पूरा सिस्टम पारदर्शी और ऑनलाइन होगा। सेम डे में ऑनलाइन प्राथमिकी हो रही है। सभी थानों की एफआईआर की ऑनलाइन इंट्री की जा रही है। ऑनलाइन स्टेशन डायरी होगी। अपराधियों पर आसानी से नकेल कसा जाएगा।
सीसीटीएनएस होंगे फायदे : सीसीटीएनएस के लागू होने से जिले के सभी थाना सीसीटीएनएस नेटवर्क से जुड़े होंगे। देश के अन्य थानों से लिक हो जाएंगे। एफआईआर से लेकर थाना की सभी सिस्टम (गोपनीय सिस्टम छोड़कर) दूसरे थानों की पुलिस देख सकेगी। सीसीटीएनएस के तहत न्यायालय, थाना, अभियोजन और एफएसएल को जोड़ा जाएगा। इससे थाने भी कोर्ट से सीधे जुड़ जाएंगे। एफआईआर से लेकर वारंट तक ऑन लाइन हो जाएगा। कोर्ट से ही न्यायिक पदाधिकारी थानों में दर्ज एफआईआर को देख सकेंगे। आम लोगों को होगी सहूलियत : एसपी ने बताया कि सीसीटीएनएस से आम लोगों को कई सुविधाएं मिलेगी। लोग थानों में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा रहे हैं। इसके अलावा चरित्र सत्यापन और लापता लोगों की सूचना, चोरी हुए वाहनों की जानकारी ऑनलाइन मिलने लगी है। इससे गुमशुदा व्यक्तियों और अज्ञात शवों की भी जानकारी हासिल की जा सकती है। किसी की चरित्र से लेकर अन्य तरह की वेरिफिकेशन आसान हो गई है। ऑनलाइन शिकायत के अलावा पीड़ित अपनी एफआईआर को भी देख सकते हैं। इसके साथ ही केस की प्रगति का भी पता लगाया जा सकता है। क्या है सीसीटीएनएस : सीसीटीएनएस केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ई- गवर्नेंस प्लान की एक महत्वपूर्ण परियोजना है। अपराध की जांच और अपराधियों की पहचान से संबंधित आईटी आधारित ट्रैकिग प्रणाली के विकास के लिए ई-गवर्नेंस के तहत राष्ट्रव्यापी नेटवर्किंग आधारित संरचना के निर्माण के लिए पुलिस की कार्य कुशलता और प्रभाव को बढ़ाने, पारदर्शी बनाने के लिए एक व्यापक एवं समेकित प्रणाली का निर्माण करना सीसीटीएनएस का उद्देश्य है। इस सिस्टम से किसी राज्य अथवा जिले के अपराधी की पहचान में काफी सुविधा होगी। कोई अपराधी दूसरे राज्य से पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया जाता है, तो उसकी पहचान करना सीसीटीएनएस के जरिए आसानी से हो जाएगी। मिनटों में ही उसका आपराधिक रिकार्ड आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। इससे घटना के पर्दाफाश करने में भी पुलिस को मदद मिलेगी। अपराधियों का फिगरप्रिट ऑनलाइन किया जाएगा। इसके बाद किसी घटनास्थल से फिगर प्रिट एफएसएल की टीम को उपलब्ध होगा। तो एफएसएल की टीम कंप्यूटर में डालकर फिगरप्रिट के सहारे अपराधियों का पूरा इतिहास पता लगा सकती है।
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-पायलट प्रोजेक्ट के तहत एसपी ने थानों को जोड़वाया
- अब पेंडिग नहीं रहेगी स्टेशन डायरी, थानेदारों की नहीं चलेगी मनमानी
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