ध्वनि प्रदूषण के कारण बढ़ रही कान की बीमारियां
गया। विश्व कान देखरेख दिवस के मौके पर गुरूवार को अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज सह अस्पताल के ई एंड
गया। विश्व कान देखरेख दिवस के मौके पर गुरूवार को अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज सह अस्पताल के ई एंड टी विभाग में निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्घाटन स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय उप निदेशक डा. विनय यादव, एएनएमएमसीएच के अधीक्षक डा. सुधीर कुमार सिन्हा और कालेज के प्राचार्य डा. सुशील प्रसाद महतो ने संयुक्त रूप से किया। अस्पताल के अधीक्षक श्री सिन्हा ने बताया कि शिविर में कुल 116 मरीजों का इलाज किया गया। जिसमें 86 मरीजों के कान की बीमारी का इलाज किया गया। जबकि 28 मरीजों का इलाज विशेष सुनने वाले यंत्र के द्वारा किया गये। इसके अलावा शिविर में नाक, गला और मुंह से संबंधित बीमारियों के मरीजों का इलाज किया गया। शिविर में मरीजों का इलाज कर रहे कान रोग बीमारी के विशेषज्ञ डा. आर.पी. ठाकुर ने बताया कि वर्तमान परिवेश में ध्वनि प्रदूषण के कारण कान की बीमरियों में सबसे ज्यादा इजाफा हो रहा है। डीजे, वाहनों के तेज हार्न और अत्याधुनिक ध्वनि वाले यंत्रों के कारण मनुष्य की सुनने की क्षमता कम होती चली जाती है। फिर एक समय ऐसा आता है। जब वह सुनने की क्षमता खो देता है। उन्होंने बताया कि अत्याधिक मोबाईल के उपयोग एवं ईयर फोन के इस्तेमाल से भी कान को नुकसान पहुंचता है। कभी भी 20-25 मिनट से ज्यादा मोबाईल पर बात नहीं करनी चाहिए। डीजे के अधिक ध्वनि के कारण हृदय की बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। क्योंकि डीजे के तेज आवाज के कारण हृदय पर दबाव पड़ता है और हर्ट बीट बढ़ जाता है। इसलिए कम ध्वनि वाले यंत्रों का उपयोग एवं ध्वनि प्रदूषण से खुद को बचाना चाहिए। उन्होंने बताया कि 90 डेसी के साउंड में मनुष्य 8 घंटे तक कार्य कर सकता है। इससे ज्यादा समय होने पर कान को डैमेज होने का खतरा बन जाता है। जबकि 95 डेसी के साउंड पर मात्र 4 घंटे ही मनुष्य कार्य कर सकता है।
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बच्चों में कान की बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा
एएनएमएमसीएच के ई एंड टी विभागाध्यक्ष डा. ओम प्रकाश ने बताया कि कान की बीमारी होने का सबसे ज्यादा खतरा बच्चों में होता है। क्योंकि बच्चों के अंग ज्यादा नाजुक होते है। उनमें इनफेक्शन होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। सर्दी, खांसी जैसे वायरल बीमारी से भी कान की बीमारी हो होती है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को हानिकारक ड्रग नहीं लेने चाहिए। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर दुष्प्रभाव पड़ता है। महिलाओं के धुम्रपान, शराब सेवन करने से भी गर्भ में रहे बच्चों को इनफेक्शन हो सकता है और बच्चा जन्मजात बहरा हो सकता है। वहीं शिविर में मरीजों का इलाज कर रहे डा. रंजन कुमार ने बताया कि जिले के विभिन्न प्रखंडों के अलावा नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद एवं झारखंड के चतरा से भी महिला-पुरूष एवं बच्चे इलाज के लिए आये है। जिन्हें उचित इलाज के बाद निशुल्क दवा दी गई। इस शिविर में एसोसिएट प्रो. डा. शिवदानी चौधरी, सीनियर रेजीडेंट डा. प्रबोध कुमार, जूनियर रेजिडेंट डा. राजीव चंद्रा, इंटर्न डा. अनिकेत आनंद, डा. सरोज कुमार, हेल्थ मैनेजर आसिफ अहमद सहित कई लोग शामिल हुये।
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