संस्कारित शिक्षा से भारत बनेगा विश्व गुरु : भागवत
गया, नगर प्रतिनिधि : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहनराव भागवत ने शनिवार को गया में दया प्रकाश सरस्वती विद्या मंदिर का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश में जो शिक्षा पद्धति चल रही है। वह दिशाहीन है। इसका कोई मापदंड अभी नहीं है। जो बच्चे सरकारी एवं अन्य प्राइवेट विद्यालय में पढ़ रहे हैं। उनके अंदर प्रबंधन द्वारा संस्कार एवं चरित्र निर्माण जैसा कोई कार्य नहीं कराया जाता है।
उन्होंने माना कि देश में शिक्षा के प्रति बच्चों का रुझान बढ़ा है। लेकिन सरकार को यह तय करना होगा कि बच्चों को किस तरह की शिक्षा देना ज्यादा जरूरी है। भारत दुनिया को शिक्षा के क्षेत्र में मार्गदर्शन करता था। लेकिन आजादी के बाद देश में शिक्षा का व्यापारीकरण हो गया है। आज के दौर में विद्यालय मंदिर नहीं बल्कि दुकान बन गए हैं।
कहा कि विद्या भारती के अंतर्गत चलने वाले सरस्वती विद्या मंदिर बच्चों को संस्कारित करती है। संस्कार, चरित्र एवं राष्ट्रीयता का पाठ बच्चों को पढ़ाया जाता है। विद्यालय की पद्धति में अध्यात्मिक को भी जोड़ा गया है। इस पद्धति को दुनिया ने भी लोहा माना है। वह समय अब दूर नहीं है कि एक बार फिर भारत शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया का मार्गदर्शन करने करेगा।
उन्होंने नालंदा का जिक्र करते हुए पूर्व की तरह विदेशों से संस्कारित एवं चरित्र निर्माण की शिक्षा लेने लोग आएंगे और भारत विश्व गुरु का सिरमौर होगा। उन्होंने कहा कि लोग शिक्षा को समाज और राष्ट्र के निर्माण में नहीं लगा रहे हैं। बल्कि भौतिक सुख की ओर ज्यादा अग्रसर हो रहे हैं।
बिना किसी पार्टी और सरकार का नाम लिए श्री भागवत ने कहा कि आजादी के बाद से शिक्षा नीति एक धरातल पर नहीं चल रही है। बच्चों को सर्वागीण विकास एवं नीतिगत शिक्षा नहीं दी जा रही है। बराबर शिक्षा में प्रयोग करते रहते हैं। इन सभी भ्रम को तोड़ते हुए विद्या भारती देश के 23 सौ सरस्वती विद्या मंदिरों में करीब 34 लाख बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।
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