नगर आयुक्त ने मेयर को दिखाया 'आईना'
देवव्रत, गया
जनप्रतिनिधि बनाम अधिकारी के बीच नगर निगम में चल रही जंग में कब, क्यों, कौन, और कैसे जीत हासिल करेगा? यह तो भविष्य बताएगा। परंतु इस जारी जंग को मैं काफी नजदीक से देख रहा हूं तो लगता है कि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि व अधिकारी कैसे अपने पैतरे बदलते रहते हैं। यह स्पष्ट करने के लिए गया नगर आयुक्त का एक पत्र बड़ा ही मायने रखता है। पिछले कुछ दिनों से नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति के अध्यक्ष महापौर व समिति के पदेन सचिव नगर आयुक्त के बीच रिश्ते में कार्यवाही को लेकर खटास की बू आ रही है। इसको लेकर दोनों में इतनी ठनी हुई है कि अधिकारी कह रहे हैं कि जनप्रतिनिधि अपने ढंग से निगम को चलाना चाह रहे हैं। वहीं, जनप्रतिनिधि कह रहे हैं कि सचिव यानि नगर आयुक्त उनके कार्य में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हुए उनके निर्देशों का अनुपालन करने में शिथिलता, लापरवाही बरत रहे हैं।
मामला ज्यादा दिन का नहीं हैं। 14 मई 2013 को सशक्त स्थायी समिति की बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद दो कार्यवाही तैयार हुई। जिसे अगली सशक्त की बैठक इसके ठीक 10 वें दिन 24 मई को हुई। इसी दिन दोनों कार्यवाही सदन के पटल पर रखा गया। एक मेयर विभा देवी के हस्ताक्षर से। दूसरा नगर निगम कार्यालय की ओर से। कार्यालय द्वारा तैयार कार्यवाही मेयर को अनुमोदन के लिए भेजा गया। जिसके हर पन्ने पर नगर आयुक्त के संक्षिप्त (इनिशियल) हस्ताक्षर हैं। इस कार्यवाही के बाद नगर आयुक्त के हस्ताक्षर से महापौर के नाम अलग टिप्पणी भी भेजी गई।
जिसमें नगर आयुक्त धनेश्वर चौधरी ने मेयर को संबोधित करते हुए कहा है कि 'कार्यालय लिपिक द्वारा बैठक में मूल कार्यवाही हस्तलिखित लिखी गई थी। उसी के आधार पर कार्यवाही कार्यालय द्वारा तैयार की जाती है। कार्यालय द्वारा तैयार कार्यवाही संचिका में कार्यालय द्वारा आपको भेजी गई थी। परंतु आपके यानि मेयर द्वारा कार्यालय की कार्यवाही को संचिका से हटा दिया गया हैं एवं उससे बिल्कुल भिन्न कार्यवाही तैयार कर एवं हस्ताक्षर कर कार्यालय को भेजा गया है। नगर आयुक्त ने यह भी कहा है कि पूर्व में भी इस तरह से कार्यवाही प्रेषित करने पर पार्षदों द्वारा आपत्ति जताई जाती रही है। जिससे निगम में कार्य करने में बाधा उत्पन्न होती है। इसी कार्यवाही के एक पारा में लिखा गया है कि 'माननीय संतोष सिंह एवं लालजी प्रसाद द्वारा प्रस्ताव लाया गया कि कर्मचारियों के पदस्थापना महापौर से सहमति लेते हुए नगर आयुक्त करेंगे। जिसमें सशक्त स्थायी समिति के सदस्य भी रहेंगे। इस पर नगर आयुक्त की टिप्पणी में उल्लेखित है कि यह मामला पूरी तरह नगर आयुक्त के अधिकार क्षेत्र का मामला है। नगर निगम के कर्मियों पर पूर्ण नियंत्रण उनका है। नियम के विरूद्ध कोई निर्णय लिया जाता है तो इस संबंध में सरकार को लिखा जाएगा।' अंत में श्री चौधरी ने मेयर से अनुरोध करते हुए लिखा है कि 14.5.13 को संपन्न सशक्त स्थायी समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार कार्यालय द्वारा जो कार्यवाही तैयार की गई है। उसे ही अनुमोदित करने की कृपा की जाए।
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