Bihar News: इंडो-नेपाल सीमा के थानों में जंग खा रहीं गाड़ियां, 40 साल से नहीं हुई नीलामी
सीमावर्ती रक्सौल थाना के निरीक्षण के दौरान बीते फरवरी माह में जिला पुलिस कप्तान स्वर्ण प्रभात ने जब्त वाहनों को यंत्र-तंत्र रखा देख सख्त आदेश दिया था। उन्होंने कांडों का त्वरित निष्पादन कर वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। लेकिन इंडो-नेपाल सीमा पर भारतीय क्षेत्र के थानों में वर्षों से विभिन्न मामलों में जब्त गाड़ियां जंग खा रही हैं।

विजय कुमार गिरि, रक्सौल (पूच)। इंडो-नेपाल सीमा पर भारतीय क्षेत्र के थानों में वर्षों से विभिन्न मामलों में जब्त गाड़ियां जंग खा रही हैं। इनकी करीब 40 वर्षों से नीलामी नहीं हुई है।
सीमावर्ती रक्सौल थाना के निरीक्षण के दौरान बीते फरवरी माह में जिला पुलिस कप्तान स्वर्ण प्रभात ने जब्त वाहनों को यंत्र-तंत्र रखा देख सख्त आदेश दिया था। इसे मुख्य प्रवेश द्वार से हटाने व कांडों का त्वरित निष्पादन कर वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था।
फिलहाल स्थिति ये है कि किसी का केस फाइनल नहीं हुआ है,तो किसी का मूल्यांकन पूरा नहीं हुआ है। किसी का सबकुछ ओके हो गया है, तो गाड़ी ढांचा मात्र बनकर रह गई है। उनमें न इंजन हैं, ना ही चेसिस। उन्हें ले जाना भी संभव नहीं है।
कबाड़खाना बना है थाना परिसर
भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र का थाना परिसर कबाड़खाना बन गया है। यत्र-तत्र करोड़ों रूपये मूल्य के जब्त लग्जरी वाहन जंग खा रहे हैं। इसे समय पर नीलाम कर दिया जाये, तो करोड़ों रुपये राजस्व की प्राप्ति हो सकती है। इनमें अधिकतर वाहन बगैर कागजात, चोरी के तथा नारकोटिक्स के साथ जब्त किये गये हैं।
कुछ वाहन दुर्घटना में जब्त किए गए हैं। इन वाहनों को न्यायिक प्रक्रिया के उपरांत नीलाम करने का प्रावधान है। इन वाहनों को पुलिसकर्मी नीलाम करना क्यों उचित नहीं समझते, यह भी सवाल अहम है। इसका जवाब भी है, परंतु पुलिसकर्मी अधिकृत रूप से जवाब देना उचित नहीं समझते हैं।
ऐसी ही स्थिति अनुमंडल क्षेत्र के करीब करीब सभी थानों की है। पिछले चार दशकों में वाहनों को और कुर्की में जब्त माल-सामानों को नीलाम नहीं किया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। केवल सीमावर्ती थानों में कितने वाहन सड़ रहे हैं।
पूर्वी चंपारण के रक्सौल, आदापुर, रामगढ़वा और छौड़ादानो थाने में करीब पांच हजार गाड़ियां इन वर्षों में कबाड़ में तब्दील हो गईं। इनमें 300 से अधिक नेपाली वाहन भी हैं। बॉर्डर इलाका होने के कारण अधिकतर तस्करी, चोरी, शराब ढुलाई में पकड़ी गई हैं। जबकि नेपाल के थानों की भारत से अलग स्थिति है।
प्रति सप्ताह होती है नीलामी
उधर, नेपाल के कलैया वीरगंज, धोबिनी और सुगौली, पटेरवा, इनरवा थाने में भी भारतीय गाड़ियां जब्त हैं। वैसे वहां प्रति सप्ताह गाड़ियों की नीलामी कर दी जाती है। नेपाल में आपराधिक मामलों और नारकोटिक्स के साथ जब्त वाहनों के मामले में नेपाल पुलिस विधिसम्मत कार्रवाई करती है।
त्वरित अनुसंधान और जांच कर साक्ष्यों को प्रस्तुत करती है। वहीं, अन्य मामलों में जब्त वाहनों को नेपाल राजस्व अनुसंधान विभाग और नेपाल कस्टम विभाग खुला नीलाम कर देता है। इसके लिए सात से दस दिन समय सीमा निर्धारित है।
विशेष परिस्थिति में एक माह के अंदर नीलाम कर दिया जाता है। साथ ही किसी भी मामले में जब्त भारतीय गाड़ियों को अक्सर नेपाली लोग नीलामी में अपने रिश्तेदारों के नाम पर खरीद लेते हैं। बाद में कागजात दुरुस्त कराकर भारतीय क्षेत्र में भेज दिया जाता है।
कहते हैं डीएसपी
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि जब्त वाहनों को तबतक नीलाम नहीं किया जा सकता है, जब तक न्यायिक प्रक्रिया समाप्त नहीं हो जाये। इसके उपरांत संबंधित अधिकारी न्यायालय से आदेश लेकर नीलाम कर सकते हैं।
वाहन का मूल्यांकन उसकी स्थिति के अनुसार जिला यातायात अधिकारी करते हैं। इसमें दंडाधिकारी की उपस्थिति में खुली डाक की जा सकती है। प्रक्रिया पूरा करने में समय लगता है, जिससे वाहनों की नीलामी नहीं हो सकी है।
इस संबंध में जिला पुलिस कप्तान के दिशा निर्देश पर रक्सौल अनुमंडल के विभिन्न थानों में पड़े वाहनों को नीलाम करने के लिए पुलिसकर्मी प्रयास कर रहे हैं। न्यायालय के आदेश के बाद शीघ्र वाहनों की नीलाम कर दिया जाएगा।
- थाना में जब्त दर्जनों वाहन जंग खाकर सड़ चुके होंगे। ऐसी स्थिति में थाना से उसका रिकॉर्ड मांगा जाये, तो समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- रक्सौल थाना में जब्त वाहन खुले आकाश के नीचे धूप और बारिश के बीच पड़े रहते हैं, जिससे कीमती वाहनों का हाल-बेहाल है। इन वाहनों के रख-रखाव के लिए बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए, परंतु नहीं है।
- वाहनों की नीलामी समय से हो, तो सरकार को करोड़ों का राजस्व मिलेगा। इसके साथ ही थाना प्रांगण को कबाड़खाना होने से बचाया जा सकेगा। इसके लिए कांडों के निष्पादन में पुलिस को तेजी से पहल करने की आवश्यकता है।
- जब्त वाहनों के संबंध में न्यायिक प्रक्रिया की समय सीमा निर्धारण करने की आवश्यकता है, ताकि त्वरित कार्रवाई कर वाहनों की खुली डाक की जा सके।
- जब्त वाहनों की नीलामी के लिए ठोस नियम-कानून होना चाहिए। इससे प्रत्येक वर्ष करोड़ों का राजस्व प्राप्त हो सकता है।
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