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    मक्का की फसल पर रोगों का प्रकोप, समाधान नहीं होने से किसानों की बढ़ी चिंता

    By Aditya Kumar Singh Edited By: Ajit kumar
    Updated: Sun, 14 Dec 2025 07:06 PM (IST)

    पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल प्रखंड क्षेत्र में मक्का की फसल पर रोगों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे किसान चिंतित हैं। पहले बाढ़ और सुखाड़ के बाद अब फसल मे ...और पढ़ें

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    उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है। फाइल फोटो

    संवाद सहयोगी,पकड़ीदयाल (पूर्वी चंपारण)। East Champaran News: पकड़ीदयाल प्रखंड क्षेत्र के किसान इस वर्ष एक के बाद एक आपदाओं का सामना कर रहे हैं। पहले बाढ़ और फिर सुखाड़ की मार से जूझ रहे किसानों को अब मक्का की फसल में लगने वाले रोगों ने चिंता में डाल दिया है।

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    खेतों में मक्का के छोटे-छोटे पौधों पर कीट एवं रोगों के प्रकोप को देखकर किसान आंसू बहाने को मजबूर हैं। कई किसानों का कहना है कि मौसम की मार के बाद अब फसल बचाना भी चुनौती बन गया है।

    किसान संजय सिंह उमेश यादव राहुल सिंह मनीष ठाकुर ने बताया कि उन्होंने जैसे ही मक्का की बुआई की और पौधे दो पत्ते की अवस्था में पहुंचे, वैसे ही फंगल और बैक्टीरियल रोगों का असर दिखने लगा।

    खेत में ग्री लीफ स्पॉट (घूसर पत्ता धब्बा), नॉर्दर्न लीफ ब्लाइट (उत्तरी पत्ती झुलसा) और बैक्टीरियल लीफ स्ट्रिक जैसे रोग तेजी से फैल रहे हैं। इन रोगों के कारण मक्का की पत्तियां झुलसने लगी हैं, जिससे पौधों की बढ़वार रुक रही है और उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है।

    किसानों का कहना है कि बीज, खाद और सिंचाई पर पहले ही काफी खर्च हो चुका है। ऐसे में फसल की शुरुआती अवस्था में ही रोग लग जाने से मेहनत और पूंजी दोनों पर खतरा मंडरा रहा है।

    कई किसान समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर इन रोगों से कैसे निपटा जाए। इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी गोविंद कुमार ने बताया कि मक्का में रोग लगने का मुख्य कारण पिछले वर्ष की फसल के अवशेषों को सही ढंग से न हटाना, खेत की गहरी जुताई नहीं करना तथा बार-बार एक ही खेत में मक्का की फसल बोना है।

    उन्होंने कहा कि इन कारणों से रोगजनक जीव खेत में बने रहते हैं और नई फसल के शुरुआती पौधों पर हमला कर देते हैं। बचाव के उपाय बताते हुए कृषि पदाधिकारी ने किसानों को सलाह दी कि जिंक सल्फेट (33 प्रतिशत) और यूरिया के साथ ट्राइकोडर्मा या प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव करें।

    साथ ही ह्यूमिक प्लस और फुल्विक एसिड का प्रयोग करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि समय पर उचित दवा और पोषक तत्वों का छिड़काव करने से मक्का की फसल में लगने वाले रोगों से काफी हद तक बचाव संभव है और किसानों को इसका लाभ मिलेगा।