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    भ्रष्टाचार से जंग में चली गई जान, लाचार पुलिस नहीं कर सकी हिफाजत

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 25 Sep 2021 12:03 AM (IST)

    हरसिद्धि में आरटीआइ कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की हत्या शुक्रवार को दिनदहाड़े ब्लॉक चौक के पास गोली मारकर कर दी गई। घटना के वक्त वे प्रखंड कार्यालय से लौट रहे थे। तभी पल्सर बाइक पर सवार दो अज्ञात अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया। इस घटना को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं।

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    भ्रष्टाचार से जंग में चली गई जान, लाचार पुलिस नहीं कर सकी हिफाजत

    मोतिहारी । हरसिद्धि में आरटीआइ कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की हत्या शुक्रवार को दिनदहाड़े ब्लॉक चौक के पास गोली मारकर कर दी गई। घटना के वक्त वे प्रखंड कार्यालय से लौट रहे थे। तभी पल्सर बाइक पर सवार दो अज्ञात अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया। इस घटना को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता ने पूर्व में करीब सौ स्थानीय लोगों को आरोपित करते हुए एसडीओ कोर्ट एवं अरेराज में सनहा दर्ज कराया था। सनहा में उन्होंने बताया था कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ छेड़े गए जंग में उन्हें संगीन झूठे मुकदमों में फंसाया जा सकता है या उनकी हत्या की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि विपिन के कार्यों को लेकर वर्ष 2014 में मुजफ्फरपुर की संस्था सर्वोदय मंडल द्वारा एक समारोह में उन्हें 'यूथ आइकॉन' के तौर पर सम्मानित भी किया जा चुका है। अतिक्रमण हटाने को ले चल रहा था मुकदमा विपिन वर्ष 2009 से एक आरटीआइ कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे थे। उन्होंने भारत गैस सुगौली, बीपीएल सूची सुधार, एसबीआइ, जन वितरण प्रणाली, हरसिद्धि ब्लॉक व अंचल कार्यालय आदि में कथित मनमानी व भ्रष्टाचार को दूर करने की लड़ाई लड़ रहे थे। इस क्रम में लड़ाई लड़ कर उन्होंने कई जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई फर्जी निकासी के रुपये को सरकार के खाते में जमा करवाया था। फर्जी आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, शिक्षक एवं हरसिद्धि बाजार में गैरमजरूआ जमीन के अतिक्रमण को लेकर उच्च न्यायालय पटना में सीडब्ल्यूजेसी 2834-13 के तहत वाद दायर किया था। इसके मुताबिक बाजार स्थित खाता संख्या 01 व खेसरा संख्या 245, 411 में पड़ने वाले गुदरी बाजार, यादवपुर रोड व पकडिया रोड के समीप करोड़ों की कीमत वाली करीब आठ एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर मकान का निर्माण करा लिया गया है। घर व पेट्रोल पंप पर हुई थी कार्रवाई वर्ष 2020 में धनखरैया में अतिक्रमित भूमि पर स्थित कई मकान को जहां प्रशासन ने तोड़वाया था। वहीं लोकायुक्त, पटना में दायर मुकदमे के तहत एक व्यवसायी की फर्जी जमीन पर संचालित पेट्रोल पंप भी सील हुआ था। बेतिया राज की जमीन पर फर्जी कागज बना कर अवैध कब्जा किया गया है, उसको लेकर अग्रवाल ने लोकायुक्त के यहां शिकायत भी दर्ज कराई थी। उसकी सुनवाई होने वाली थी। पिछले वर्ष भी घर पर हुआ था हमला धनखरैया में अतिक्रमण हटाने के दौरान ही आक्रोशित उपद्रवी तत्वों ने आरटीआइ कार्यकर्ता श्री अग्रवाल के घर पर हमला कर तोड़-फोड़ की थी। उनकी पत्नी को दिनदहाड़े सड़क पर घसीट कर मारा-पीटा गया था। इस बाबत उन्होंने कई लोगों पर केस किया था। लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। पत्नी ने एसपी के जनता दरबार में कई दफे आवेदन देकर सुरक्षा की गुहार लगाई थी। रक्सौल के बाद महंगी है यहां की जमीन गौरतलब है कि पूर्वी चंपारण में रक्सौल के बाद सबसे महंगी जमीन यहीं की है। उच्च न्यायालय ने मामले को संज्ञान लेते हुए अंचल प्रशासन को अतिक्रमणकारियों को चिन्हित करते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। लेकिन अतिक्रमण हटाने को ले दो-दो बार महज खानापूर्ति की गई। प्रशासन के दोहरे रवैये से आजिज आकर विपिन ने सीओ, एसडीओ, एलआरडीसी व डीएम को पार्टी बनाते हुए उच्च न्यायालय में फिर से याचिका दायर की थी। इस आधार पर न्यायालय ने अपने आदेश को पालन नहीं करने को अवमानना करार देते हुए केस को एमजेसी 3166-13 में तब्दील कर दिया। इसी सिलसिले में न्यायालय के आदेश पर तत्कालीन सीओ अनिल कुमार सिंह को दोषी मानते हुए एसडीओ, अरेराज ने उनपर प्रपत्र 'क' भी गठित किया था। इसमें प्रशासन ने करीब 90 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित भी किया है।

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