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    ऑनलाइन होने के बाद भी दाखिल खारिज में हो रही अवैध उगाही

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 05 Dec 2020 01:30 AM (IST)

    मोतिहारी। किसानों की सुविधा के लिए बिहार सरकार ने भूमि संबंधी दाखिल खारिज को ऑनलाइन कर

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    ऑनलाइन होने के बाद भी दाखिल खारिज में हो रही अवैध उगाही

    मोतिहारी। किसानों की सुविधा के लिए बिहार सरकार ने भूमि संबंधी दाखिल खारिज को ऑनलाइन कर दिया है। दाखिल खारिज के साथ ही भूमि के लगान का ऑनलाइन रसीद भी काटा जा रहा है। बावजूद इसके चकिया अंचल कार्यालय में इसमें भी अवैध वसूली का खेल जारी है। सरकार द्वारा भूमि की दाखिल खारिज करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की व्यवस्था की गई है। दाखिल खारिज के लिए लोगों द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने एवं दाखिल खारिज हो जाने के बाद लोगों को ऑनलाइन लगान रसीद भी मिलेगा, ऐसी व्यवस्था की गई है। यह सारी प्रक्रिया निश्शुल्क है। केवल भूमि के लगान का जो रसीद बनता है, उसी का पैसा सरकार को देना होता है। लेकिन इन सारी प्रक्रियाओं में कुछ राजस्व कर्मचारियों ने अवैध वसूली का रास्ता निकाल लिया है। सारा खेल भूमि की जमाबंदी नंबर को लेकर हो रहा है। बता दें कि किसी भी भूमि की पहचान जमाबंदी नंबर से ही होती है। दाखिल खारिज के दौरान ही रजिस्टर टू में जमाबंदी नंबर अंकित किया जाता है। इसके लिए जमाबंदी के समय ही राजस्व कर्मचारी द्वारा एक शुद्धि पत्र डाटा ऑपरेटर के पास जमा कराया जाता है। इस पत्र के आलोक में डेटा ऑपरेटर भूमि का पहचान यानि जमाबंदी नंबर दर्ज करता है। लेकिन यहां अवैध वसूली को लेकर इस शुद्धि पत्र को राजस्व कर्मचारी द्वारा डेटा ऑपरेटर के पास जमा नहीं कराया जाता है। जिससे दाखिल खारिज कराने वाले व्यक्ति अगर अपनी भूमि का ऑनलाइन रसीद कटाते हैं तो उस रसीद पर जमाबंदी नम्बर अंकित नहीं होता। जिससे दाखिल खारिज कराने वाले व्यक्ति को फिर से राजस्व कर्मचारी से संपर्क करना पड़ता है। जहां मौजूद राजस्व कर्मचारी का कथित एटॉर्नी जिसे आम भाषा में लोग कर्मचारी का दलाल कहते है, लोगों को राजस्व कर्मचारी से शुद्धि पत्र लेने की बात कर दाखिल खारिज करने के एवज में अवैध वसूली करता है। जानकारों की माने तो जिस भूमि के दाखिल खारिज को ऑनलाइन कर सरकार ने निश्शुल्क कर दिया है। उसका यहां दलालों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर अलग अलग रेट निर्धारित किया गया है। इसमें नगर पंचायत क्षेत्र की भूमि की दाखिल खारिज का रेट प्रति दस्तावेज पांच हजार रुपये है। वहीं, अगर दाखिल खारिज करने वाली भूमि मार्केट में है तो उस भूमि की दाखिल खारिज के लिए राजस्व कर्मचारी या उनके कथित एटॉर्नी (दलाल) द्वारा आपसी बातचीत में सौदा पक्का किया जाता है। इस मामले में अंचलाधिकारी राजकिशोर साह का कहना है कि राजस्व कर्मचारी को शुद्धिपत्र डाटा ऑपरेटर को देना है। उन्होंने दावा किया कि बिना जमाबंदी नम्बर अंकित किए रसीद ऑनलाइन नहीं निकलता है। अगर कहीं कोई समस्या हो तो शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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