Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Gen-Z आंदोलन के बाद नेपाल में राजनीति के नए युग की मुनादी, विद्रोह ने हिलाई परंपरागत दलों की सत्ता

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 05:30 AM (IST)

    नेपाल में जेन-जी आंदोलन के बाद केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई जिससे भ्रष्टाचार खत्म होने की उम्मीद जगी है। पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं। इस घटना से पारंपरिक दलों में पुनर्गठन की मांग उठी है। कांग्रेस एमाले और माओवादी केंद्र में नेतृत्व परिवर्तन की आवाजें बुलंद हो रही हैं। विश्लेषकों के अनुसार यह नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ है।

    Hero Image
    सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाते राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल। (एजेंसी)

    जागरण संवाददाता, वीरगंज (नेपाल)। भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए जेन-जी आंदोलन से दो-तिहाई बहुमत से बनी केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के गिरने के साथ नेपाल में हुई राजनीति के नए युग की मुनादी के साथ नेपाल में भ्रष्टाचार के अंत की उम्मीद जगी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत देश के विभिन्न शहरों में सोमवार से शुरू इस आंदोलन के दौरान हुई हिंसा व आगजनी ने नेपाल को नया सबक भी दिया।

    पुरानी सरकार के गिरने के बाद नेपाल की पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री बनाए जाने के साथ भष्टाचार के अंत की उम्मीद समेत देश में सुशासन की उम्मीद जेन-जी कर रहे।

    इस विद्रोह ने न सिर्फ परंपरागत दलों की सत्ता हिलाई। बल्कि उनके भीतर भी पार्टी पुनर्गठन की मांग भी तेज हो चली है। नेपाली कांग्रेस, नेकपा (एमाले) और माओवादी केंद्र जैसे दलों में नेतृत्व और संगठनात्मक ढांचे को बदलने की आवाज भी बुलंद हो रही है।

    एमाले सचिव योगेश भट्टराई ने आत्म समीक्षा की अपील करते हुए संगठन और नेतृत्व को नए ढंग से पुनर्गठित करने की बात कही है। कांग्रेस के महामंत्री गगन थापा ने भी स्वीकारा है कि उन्होंने कई बार पार्टी को बदलने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।

    वरिष्ठ नेताओं से विश्राम लेने की अपील

    उन्होंने देउवा, प्रचंड और ओली जैसे वरिष्ठ नेताओं से विश्राम लेने की भी अपील की थी, लेकिन यह हो न सका और हालात ऐसे बने कि जेन-जी आंदोलन ने देश में आगजनी व हिंसा की नई कहानी रच दी।

    माओवादी उप महासचिव जनार्दन शर्मा समेत कई नेताओं ने भी अपनी पार्टी में पुनर्गठन की मांग रखी है। वहीं, प्रचंड ने नियम विरुद्ध जानेवालों को कार्रवाई की चेतावनी दी। एकीकृत समाजवादी में भी नेतृत्व हस्तांतरण की मांग तेज है।

    यहां भी माधव कुमार नेपाल और झलनाथ खनाल को पद छोड़ने का सुझाव दिया जा रहा है।  राजनीति के विश्लेषकों के अनुसार, यह विद्रोह नेपाल की राजनीति में नया मोड़ है। इसने न सिर्फ सरकार को गिराया बल्कि दशकों से जमे वैसे नेतृत्व को चुनौती दी जिन भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।

    अब राजनीतिक दलों के बीच तेज हुई हलचल यह बता रही कि नेपाल की राजनीति स्वच्छता का संचार हो, यह आवाज बुलंद की जाने लगी है।