कुपोषण संकट के बीच अस्पताल और आंगनबाड़ी केंद्र दिखा रहे उदासीनता , नहीं मिल रहा बच्चों को लाभ
मोतिहारी जिले में कुपोषण की समस्या गंभीर है जहाँ हजारों बच्चे प्रभावित हैं। पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) सरकारी उदासीनता के कारण प्रभावी नहीं हो पा र ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, मोतिहारी। जिले में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के कई जिलों में कुपोषण का स्तर चिंताजनक है। पूर्वी चंपारण में हजारों बच्चे, खासकर 0-6 वर्ष की आयु के, कुपोषण का शिकार हैं।
बावजूद इसके सदर अस्पताल परिसर में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) अपनी उपयोगिता साबित करने में नाकाम रहा है। यह केंद्र, जो कुपोषित बच्चों के इलाज और पुनर्वास के लिए बनाया गया था, सरकारी अस्पतालों और आंगनबाड़ी केंद्रों की उदासीनता के कारण महज दिखावे की चीज बनकर रह गया है।
केंद्र में तमाम सुविधाएं और स्टाफ उपलब्ध हैं, लेकिन इसका लाभ कुपोषित बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा। आंगनबाड़ी केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) से कुपोषित बच्चों को रेफर करने में लापरवाही बरती जा रही है। नतीजतन, केंद्र की क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा, और बच्चों को समय पर इलाज व पोषण नहीं मिल रहा।
स्थानांतरण के बाद भी नहीं बदली तस्वीर
पहले यह केंद्र चकिया में संचालित था। मार्च 2025 में इसे सदर अस्पताल परिसर के पुराने विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) भवन में स्थानांतरित किया गया। उम्मीद थी कि जिला मुख्यालय में आने से केंद्र की कार्यप्रणाली सुधरेगी और ज्यादा बच्चों को लाभ मिलेगा।
लेकिन छह महीने बाद भी स्थिति जस की तस है। किसी भी सरकारी अस्पताल या आंगनबाड़ी केंद्र से मार्च से अब तक कुपोषित बच्चों को इस केंद्र में रेफर नहीं किया गया। यह स्थिति तब है, जब जिले में कुपोषण की समस्या भयावह है। अनुमान के मुताबिक, पूर्वी चम्पारण में हजारों बच्चे कुपोषण से प्रभावित हैं, जिनमें 12.12% पांच वर्ष से कम आयु के हैं। केंद्र तक बच्चों का न पहुंचना कई सवाल उठाता है।
छह महीने में महज 65 कुपोषित बच्चों का इलाज
सदर अस्पताल में केंद्र शुरू होने के बाद पिछले छह महीनों में केवल 65 कुपोषित बच्चों को इसका लाभ मिला। ये बच्चे वे हैं, जिन्हें केंद्र के कर्मियों ने अपने स्तर पर पहचान कर भर्ती किया।
आंगनबाड़ी केंद्रों या अस्पतालों की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला। वर्तमान में केवल चार कुपोषित बच्चे केंद्र में भर्ती हैं, जो इसकी क्षमता के मुकाबले नगण्य है। जिले में कुपोषण की स्थिति को देखते हुए यह संख्या बेहद कम है।
केंद्र का राउंड द क्लाक संचालन और सुविधाएं
पोषण पुनर्वास केंद्र 24 घंटे संचालित होता है। यहां भर्ती बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन की व्यवस्था है, जिसमें प्रोटीन, विटामिन और अन्य पोषक तत्व शामिल हैं। माताओं के लिए जीविका के माध्यम से मुफ्त भोजन और 200 रुपये प्रतिदिन का भत्ता दिया जाता है।
वहीं कुपोषित बच्चों का भोजन तैयार करने के लिए एक रसोइया अनुबंध पर नियुक्त है, और छह स्टाफ नर्स की प्रतिनियुक्ति है। केंद्र में 6 महीने से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित और बीमार बच्चों को भर्ती किया जाता है।
इन सुविधाओं के बावजूद, केंद्र में बेड खाली रहते हैं। अप्रैल 2024 से अगस्त 2025 तक के आंकड़ों केअनुसार, औसतन हर माह केवल 4-5 बच्चे भर्ती हो रहे हैं, जबकि केंद्र में 10 बेड की क्षमता है।
पुनर्वास केंद्र पर सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां एक साथ दस बच्चों को रहने की व्यवस्था है। बच्चों के बेहतर देखभाल व इलाज के लिए चिकित्सक के साथ स्टाफ नर्स की भी प्रतिनियुक्ति की गई है। - कौशल कुमार दुबे, अस्पताल प्रबंधक

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