सदर अस्पताल में दवाओं की कौन कहे मरीजों के लिए काटन तक उपलब्ध नहीं
जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल जहां आम लोगों को निशुल्क जांच दवा व इलाज तक की सुविधा दिए जाने का सरकारी दावा किया जाता है वहां भी लोगों को सहज रूप से यह सब सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो रही है। यहां आनेवाले मरीजों का तो किसी प्रकार इलाज हो जा रहा है लेकिन बाजार से महंगी दवाओं को खरीदने की विवशता अबतक समाप्त नहीं हुई है।
मोतिहारी । जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल जहां आम लोगों को निशुल्क जांच, दवा व इलाज तक की सुविधा दिए जाने का सरकारी दावा किया जाता है वहां भी लोगों को सहज रूप से यह सब सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो रही है। यहां आनेवाले मरीजों का तो किसी प्रकार इलाज हो जा रहा है लेकिन बाजार से महंगी दवाओं को खरीदने की विवशता अबतक समाप्त नहीं हुई है। अव्वल तो यह कि यहां मरीजों को मिलनेवाली सभी प्रकार की निशुल्क दवाएं बाहर से खरीद कर लाने की सलाह दी जा रही है। यहां महीनों से कई आवश्यक दवाओं की किल्लत बनी हुई है। इससे यहां आने वाले मरीजों को मजबूरीवश से मोटी रकम खर्च कर बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती है। हद तो यह है कि अस्पताल में कॉटन तक भी उपलब्ध नहीं है। कॉटन तक उन्हें बाहर से खरीदकर लाना पड़ रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो आउटडोर में 73 व इंडोर में 105 प्रकार की दवाएं मिलनी हैं। विभागीय नियमों के अनुसार अगर मरीजों को मिलने वाली दवा की फिलहाल कमी है तो सदर अस्पताल प्रशासन को स्थानीय स्तर पर सरकार के गाइडलाइन के अनुसार दवा की खरीदारी करनी है, जबकि आलम यह है कि कई जरूरी दवाएं महीनों से अस्पताल में नदारद हैं और इसकी खरीद के लिए कोई पहल नजर नहीं आ रही है। यहां तक लाचार मरीजों को भी अस्पताल में व्हीलचेयर की सुविधा नहीं मिल पाती है, जिससे उनके स्वजन मरीज को कंधे पर उठाकर इधर-उधर ले जाने को विवश होते हैं।
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इनसेट
मैटरनिटी वार्ड में मरीजों को नहीं मिलती निशुल्क विटामिन के, पंजीयन रजिस्टर तक उपलब्ध नहीं
आउटडोर की बात छोड़िए, इंडोर में भी जहां 105 प्रकार की दवाएं उपलब्ध होने का दावा किया जाता है वहां मरीजों को एक अदद विटामिन के भी निशुल्क नहीं मिलता है। वह भी मरीज के स्वजनों को बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है।बताया गया है कि सदर अस्पताल के मैटरनिटी वार्ड में विटामिन के समेत कई आवश्यक दवाओं का महीनों से अभाव है। जिन दवाओं की अनुपलब्धता बताई जा रही है उनमें जेंटामाईसीन, सेफ्ट्रीजोन 1 ग्राम, ट्रेनेक्सा, पारासीटामोल इंजेक्शन, डीएनएस, डेक्सट्रोज 5 प्रतिशत, मेथार्जिन जैसी आवश्यक एंटीबायोटिक आदि शामिल हैं। अस्पताल सूत्र बताते हैं कि बीच में लक्ष्य मूल्यांकन को लेकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्थानीय स्तर पर इन दवाओं की कुछ मात्रा में खरीददारी जरूर की गई थी, लेकिन अब फिर से दवाओं का स्टॉक खत्म हो गया है। हद तो यह कि मैटरनिटी वार्ड में एलसीएस व केस हैंड ओवर व टेक ओवर रजिस्टर भी खत्म है। इससे यहां आने वाले मरीजों के रिकॉर्ड संधारण में भी प्रतिनियुक्त कर्मियों को परेशानी होती है।
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इलाज व दवा के लिए उपाधीक्षक तक लगाई दौड़ पर नहीं मिला लाभ
सदर अस्पताल के ओपीडी में भी आवश्यक दवाओं की किल्लत को लेकर जब सोमवार को इसकी पड़ताल की गई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। जिन दवाओं के लिए मरीजों को मना कर दिया जा रहा था। उसके बारे में बताया गया कि वह स्टोर में है, जल्द ही यहां आ जाएगा। कोटवा के पट्टी जसौली से आए संतोष कुमार पासवान बताते हैं कि पिछले चार दिनों से वे दवा के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन आज तक नहीं मिल सका है। मुसीबत यह है कि बाहर की दुकानों में भी ये दवाएं उपलब्ध नहीं है। वहीं चंद्रहिया से आए महंगू साह अस्पताल की व्यवस्था से पूरी तरह खिन्न हैं। कहते हैं-यहां इलाज व दवा के नाम पर मजाक हो रहा है। दवा नहीं मिलने पर अस्पताल उपाधीक्षक के पास भी वे गए थे लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। बंजरिया से आई प्रभावती देवी व पिपरा चकनिया की मंजू देवी कहती हैं कि सरकारी सिस्टम पूरी तरह फेल है। चिकित्सक ने जो दवा लिखी है उनमें से अधिकतर दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं है।
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वर्जन
सदर अस्पताल के ओपीडी में जल्द ही व्हीलचेयर उपलब्ध कराई जाएगी। दवाओं के लिए सरकार द्वारा अधिकृत कंपनी बीएमसीआईएल को लिखा गया है। आपूर्ति होते हीं यह भी मरीजों को उपलब्ध कराया जाएगा।
डा. अंजनी कुमार
सिविल सर्जन, पूर्वी चंपारण
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