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    सत्याग्रह और सद्भावना एक्सप्रेस की रफ्तार बढ़ाने मांग तेज, रेल मंत्रालय के पास पहुंचा लेटर

    रक्सौल जंक्शन से आनंद विहार टर्मिनल के बीच चलने वाली सत्याग्रह और सद्भावना एक्सप्रेस की गति बढ़ाने की मांग उठी है। डॉ. स्वयंभू शलभ ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर सत्याग्रह एक्सप्रेस में पेंट्रीकार की सुविधा देने का भी आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इन ट्रेनों में यात्रियों को काफी समय लगता है और सत्याग्रह एक्सप्रेस में आवश्यक सुविधाओं की कमी है जिससे यात्रियों को परेशानी होती है।

    By Vijay Giri Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 09 Jun 2025 06:09 PM (IST)
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    सत्याग्रह और सद्भावना एक्सप्रेस की रफ्तार बढ़ाने मांग तेज, रेल मंत्रालय के पास पहुंचा लेटर

    जागरण संवाददाता, रक्सौल (पूच)। सीमावर्ती रक्सौल जंक्शन और आनंद विहार टर्मिनल के बीच चलने वाली सत्याग्रह एक्सप्रेस (15273/74) एवं सद्भावना एक्सप्रेस (14015/14017/14007) की गति बढ़ाने तथा सत्याग्रह एक्सप्रेस में पेंट्रीकार की सुविधा प्रदान करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस संबंध में डॉ. (प्रो.) स्वयंभू शलभ ने रेलवे बोर्ड एवं रेल मंत्रालय को पत्र भेजा है।

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    अपने पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि सत्याग्रह एक्सप्रेस को मात्र 957 किलोमीटर की दूरी तय करने में 24 घंटे से अधिक समय लगता है, जो न केवल अप्रत्याशित है, बल्कि अनावश्यक भी है। ट्रेन रक्सौल जंक्शन से प्रतिदिन रात 8:40 बजे प्रस्थान कर अगले दिन सुबह 9:10 बजे आनंद विहार टर्मिनल पहुंचती है।

    वापसी में यह आनंद विहार से शाम 5:30 बजे चलकर रक्सौल अगले दिन शाम 5:35 बजे पहुंचती है। उन्होंने बताया कि यह ट्रेन कई स्टेशनों पर अपने निर्धारित समय से पहले पहुंच जाती है, लेकिन निर्धारित समय पर ही खुलती है, जिससे यात्रियों को लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है और यात्रा में अनावश्यक विलंब होता है।

    इसी तरह, रक्सौल से आनंद विहार के बीच चलने वाली सद्भावना एक्सप्रेस को 1226 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग 29 से 30 घंटे लगते हैं। उत्तर बिहार के अन्य स्टेशनों से दिल्ली जाने वाली ट्रेनों की तुलना में इन दोनों ट्रेनों को सबसे अधिक समय लगता है, जबकि ये भारत-नेपाल सीमा के अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले रक्सौल स्टेशन को राजधानी दिल्ली से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण ट्रेनें हैं।

    नेपाल से आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या भी इन ट्रेनों में काफी अधिक होती है। ऐसे में इन्हें सीमा क्षेत्र की 'लाइफलाइन ट्रेन' माना जाता है। सत्याग्रह एक्सप्रेस में पेंट्रीकार जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव यात्रियों को यात्रा के दौरान कठिनाइयों में डालता है।

    डॉ. शलभ ने रेलवे बोर्ड से मांग की है कि इन दोनों ट्रेनों की गति को यथासंभव बढ़ाया जाए और सत्याग्रह एक्सप्रेस में जल्द से जल्द पैंट्रीकार की सुविधा उपलब्ध कराई जाए, ताकि यात्रियों को सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा मिल सके।