East Champaran: रोहिंग्या के शक में नेपाल पुलिस ने 65-70 लोगों के समूह को रोका, दस्तावेज न होने पर लौटाया भारत
पूर्वी चंपारण में, नेपाल पुलिस ने रोहिंग्या होने के संदेह में 65-70 लोगों के एक समूह को भारत-नेपाल सीमा पर रोका. दस्तावेज़ों की कमी के कारण उन्हें वाप ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, रक्सौल (पूच)। भारत–नेपाल मैत्री पुल के रास्ते तांगा (घोड़ागाड़ी) से नेपाल में प्रवेश कर रहे करीब 65 से 70 संदिग्ध लोगों के एक समूह को बुधवार को नेपाल पुलिस ने रोहिंग्या मुसलमान होने के संदेह में रोक लिया। यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद सीमा क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता बढ़ गई है।
भाषा और पहनावे से बढ़ा संदेह
पर्सा जिला (वीरगंज) नेपाल पुलिस नियंत्रण कक्ष के अनुसार, 10 से 15 भाड़े के तांगे पर सवार यह समूह-जिसमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और पुरुष शामिल थे-नेपाली भंसार (कस्टम) के समीप पहुंचा।
नियमित जांच के दौरान उनकी भाषा, पहनावे और बातचीत की शैली संदिग्ध पाई गई, जिससे पुलिस को उनके बांग्लादेशी या रोहिंग्या होने का संदेह हुआ। इसके बाद पुलिस ने गहन पूछताछ शुरू की और पहचान पत्र/आधार कार्ड की मांग की। कड़े तेवरों के बीच महिलाएं और बच्चे मुंह ढकते नजर आए।
दस्तावेज न होने पर भारत लौटाया गया समूह
पूछताछ में समूह के लोगों ने स्वयं को उत्तर प्रदेश का निवासी बताया, लेकिन वे अपने जिले या गांव का स्पष्ट विवरण नहीं दे सके। उन्होंने नेपाल में खेती-किसानी के उद्देश्य से जाने की बात कही। दस्तावेजों की कमी, बयानों में असंगति और सुरक्षा संवेदनशीलता को देखते हुए नेपाल पुलिस ने आवश्यक प्रारंभिक जांच के बाद पूरे समूह को भारतीय सीमा में वापस भेज दिया।
सीमा पर निगरानी कड़ी, एजेंसियां सतर्क
नेपाली सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि सीमा क्षेत्र से अवैध प्रवेश, शरणार्थी के रूप में बसने की कोशिश या किसी भी ऐसी गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है, जो सुरक्षा चुनौती बन सकती है।
हाल के दिनों में बॉर्डर इलाकों में इस तरह के समूहों की आवाजाही बढ़ने की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा विभाग अलर्ट पर है। इस प्रकरण की जानकारी आगे की जांच और समन्वय के लिए भारतीय सुरक्षाकर्मियों को भी दे दी गई है।

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