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    Ganga Dussehra 2025: क्यों मनाते हैं गंगा दशहरा, हिंदू धर्म में क्या है मान्यता? पंडित जी ने सब बताया

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 06:53 PM (IST)

    मोतिहारी में 5 जून को गंगा दशहरा मनाया जाएगा। इस दिन गंगा स्नान पूजन और दान का विशेष महत्व है। ब्रह्मपुराण के अनुसार यह तिथि दस प्रकार के पापों को हरने वाली है। गंगाजी में स्नान करने और उनका स्मरण करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। अग्निपुराण के अनुसार गंगा का दर्शन और नामोच्चारण भी पीढ़ियों को पवित्र करता है।

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    पृथ्वी पर गंगा के अवतरण की मुख्य तिथि है ज्येष्ठ शुक्लपक्ष दशमी

    जागरण संवाददाता, मोतिहारी। गंगा दशहरा का पुनीत पर्व पांच जून गुरुवार को मनाया जाएगा। ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि गंगा दशहरा कहलाती है। यह पृथ्वी पर गंगा के अवतरण की मुख्य तिथि मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से गंगा स्नान, गंगा पूजन, दान, उपवास तथा गंगाजी के स्तोत्रपाठ करने का विशेष महत्व है।

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    साथ ही इस दिन पवित्र नदी, सरोवर अथवा घर में शुद्ध जल से स्नान के बाद नारायण, शिव, ब्रह्मा, सूर्य, राजा भगीरथ व हिमालय पर्वत की पूजा-अर्चना का विधान है। पूजा में दस प्रकार के पुष्प, दशांग धूप, दीपक, नैवेद्य, ताम्बूल एवं दस फल होने चाहिए।

    दक्षिणा भी दस ब्राह्मणों को देने का विधान है। यह दिन समस्त मांगलिक कार्यों के लिए सर्वसिद्ध मुहूर्त्त माना जाता है। उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पांडेय ने दी।

    उन्होंने बताया कि ब्रह्मपुराण के अनुसार हस्त नक्षत्र से युक्त ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की दशमी तिथि दस प्रकार के पापों जैसे- बिना अनुमति के दूसरे की वस्तु लेना, हिंसा, परस्त्री गमन, कटु बोलना, झूठ बोलना, पीछे से बुराई या चुगली करना, निष्प्रयोजन बातें करना, दूसरे की वस्तुओं को अन्यायपूर्ण ढंग से लेने का विचार करना, दूसरे के अनिष्ट का चिंतन करना तथा नास्तिक बुद्धि रखना आदि पापों को हरने की वजह से दशहरा कहलाती है।

    उन्होंने कहा कि इस दिन गंगाजी में स्नान करने से शीघ्र ही समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अपूर्व पुण्य की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो मनुष्य सौ योजन दूर से भी गंगाजी का स्मरण करता है, उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं और वह अंत में विष्णुलोक को जाता है।

    अग्निपुराण के अनुसार, इस संसार में जो मनुष्य भगवती भागीरथी मां गंगा का दर्शन, स्पर्श, जलपान तथा गंगा इस नाम का उच्चारण करता है वह अपने सैकड़ों-हजारों पीढ़ियों को पवित्र कर देता है।