पूर्वी चंपारण में मदर व गार्जियन ट्री के साथ मनाई जाएगी दीपावली
Diwali 2022 सौ और 50 वर्ष से अधिक उम्र के पेड़ों के पास सोमवार को मनेगा दीपोत्सव। 50 हजार जीविका दीदियां पेड़ों की पूजा कर उनके संरक्षण का लेंगी संकल्प। दीपोत्सव में प्रशासनिक अधिकारी मुखिया व पेड़ को गोद लेने वाले लोग रहेंगे मौजूद।
मोतिहारी (पूचं), जास। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में मदर ट्री (सौ वर्ष से अधिक उम्र वाले पेड़) और गार्जियन ट्री (50 वर्ष से अधिक उम्र वाले पेड़) के साथ दीपावली मनाई जाएगी। यहां जिला प्रशासन, पंचायत और जीविका (सरकारी अनुदान प्राप्त महिलाओं का संगठन) के माध्यम से दीपोत्सव होगा। इसके लिए दो सौ मदर ट्री और 12 हजार पांच सौ गार्जियन ट्री के पास तैयारी की गई है। जिले की 50 हजार जीविका दीदियों को जिम्मेदारी दी गई है।
रविवार को मधुबन में छोटी दीपावली से इसका शुभारंभ किया गया। इस पर किया जाने वाला खर्च मदर ट्री को हर माह मिलने वाली चार सौ रुपये की पेंशन और सामाजिक सहयोग से पूरा किया जा रहा है। दीपोत्सव के दौरान स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी, मुखिया और पेड़ को गोद लेने वाले लोग भी रहेंगे। इसमें पेड़ की पूजा और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी लिया जाएगा।
स्थानीय स्तर पर चल रही तैयारी
गार्जियन ट्री के पास दीपोत्सव को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी चल रही है। इसमें जीविका दीदियों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका अधिक है। सामाजिक स्तर पर दीप व अन्य सामग्री की व्यवस्था की जा रही है। इसमें स्थानीय लोगों का भी साथ मिल रहा है। इन पेड़ों के पास दीपोत्सव के लिए दो दिनों से अभियान चलाया जा रहा है। इसमें बिना किसी दबाव के आम लोग भी हिस्सा ले रहे हैं। पूर्वी चंपारण के उप विकास आयुक्त कमलेश कुमार ¨सह का कहना है कि दीपोत्सव व पूजा करने से पेड़ों के संरक्षण को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ता है। इस अभियान को आगे भी जारी रखा जाएगा।
चार हजार से अधिक लोगों ने पेड़ों को लिया है गोद
मनरेगा के जिला कार्यक्रम अधिकारी अमित कुमार उपाध्याय का कहना है कि अभियान जिले के लोगों के लिए पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा बन गया है। इसके प्रति लोगों का जुड़ाव ही है कि चार हजार से अधिक लोगों ने पेड़ों को संरक्षण के लिए गोद लिया है और यहां अपने घर की तरह दीपावली मनाने का निर्णय लिया है। पेड़ों के संरक्षण के लिए आवश्यकता के अनुरूप मनरेगा से मिट्टी भराई और अन्य कार्य कराए जा रहे हैं। दीपोत्सव कार्यक्रम पूरी तरह सामाजिक है। इसमें लोगों की जितनी अधिक भागीदारी होगी, अभियान उतना ही सफल होगा।
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