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    जेल से भाग गए Nepal के पूर्व उपप्रधानमंत्री? Gen-Z Protest के बाद सामने आई चौंकाने वाली बात

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 10:18 PM (IST)

    नेपाल के वीरगंज से खबर है कि जेन-जी आंदोलन के दौरान 14 हजार से ज्यादा कैदी जेलों से भाग गए जिनमें से कुछ ही वापस आए हैं। काठमांडू के केंद्रीय कारागार से 3500 से अधिक कैदी फरार हुए। इस राजनीतिक अस्थिरता का असर पूर्वी चंपारण के सीमावर्ती बाजार पर भी पड़ा है क्योंकि पर्यटकों की कमी से व्यापार प्रभावित हुआ है।

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    जेल से भाग गए Nepal के पूर्व उपप्रधानमंत्री? Gen-Z Protest के बाद सामने आई चौंकाने वाली बात

    जागरण संवाददाता, रक्सौल (पूच)। नेपाल के पर्सा जिला वीरगंज से मिली जानकारी के अनुसार 9 व 10 सितंबर को हुए जेन-जी आंदोलन व प्रदर्शनों का लाभ उठाकर देशभर की विभिन्न जेलों से 14 हजार से अधिक कैदी फरार हो गए थे। इनमें से अब तक 4 हजार 774 कैदी ही संपर्क में आ पाए हैं।

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    कारागार प्रबंधन विभाग के सूचना अधिकारी सेदेश प्रसाद जोशी ने बताया कि अधिकांश कैदी स्वेच्छा से लौट आए हैं, जबकि कुछ को पुलिस ने पकड़ लिया है।

    आंदोलन के दौरान 10 सितंबर को जेलों में भारी अराजकता फैल गई थी। इसी बीच काठमांडू स्थित केंद्रीय कारागार, जगन्नाथ देवल से ही 3 हजार 500 से अधिक कैदी भाग निकले। फरार कैदियों में नकली भूटानी शरणार्थी प्रकरण में गिरफ्तार पूर्व उपप्रधानमंत्री व यूएमएल नेता टोपबहादुर रायमाझी भी शामिल हैं।

    केंद्रीय कारागार के जेलर कृष्ण कटुवाल ने बताया कि रायमाझी ने असुरक्षा के कारण बाहर जाने की बात कही थी और कुछ दिनों में लौटने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक वे संपर्क में नहीं आए हैं।

    इसी तरह, नख्खु जेल से भागे राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (रास्वपा) के अध्यक्ष व पूर्व गृहमंत्री रवि लामिछाने ने खुद को जेल में हाजिर करा दिया है।

    वहीं, नेपाल के डिल्ली बाजार कारागार में बंद पूर्व प्रांतीय मंत्री दीपक मनाङे ने भागने की कोशिश तक नहीं की। जेन-जी आंदोलन से उपजे हालात ने कारागार प्रबंधन की गंभीर कमजोरियों को उजागर कर दिया है। विभाग ने शेष फरार कैदियों को पकड़ने व संपर्क में लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

    नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल से सीमावर्ती बाजार के व्यापार पर गंभीर असर

    सीमावर्ती शहर के प्रमुख व्यापारिक संगठन टैक्सटाईल्स चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की बैठक अध्यक्ष राकेश कुमार कुशवाहा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में पड़ोसी देश नेपाल में जेन जी के प्रदर्शन के बाद नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल से सीमावर्ती बाजार के व्यापार पर इसका गंभीर असर पड़ा है, जिसपर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई।

    नेपाल के प्रमुख पर्व दशहरा की तैयारी एक माह पूर्व ही शुरू हो जाती है। जिसको लेकर व्यापारी भी तैयारी कर चुके थे। बाजार सजने लगे थे। बंदी के कारण नेपाल से खरीदारी करने आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक नहीं पहुंचे, जिसका असर बाजार पर पड़ा है। व्यापारियों को इस आर्थिक संकट से बाहर निकालने पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई।

    इसकी जानकारी व्यापारिक संगठन के महासचिव शंभु प्रसाद चौरसिया ने दी। बताया कि व्यापारिक क्षति की भरपाई कठिन है। स्थिति में सुधार हो रहा है। पर्यटकों का आगमन हुआ, तो थोड़ी राहत मिल सकती है।

    बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष नितिन कुमार, कोषाध्यक्ष दिलीप कुमार शाह, उपाध्यक्ष दिनेश प्रसाद, सहसचिव गिरधारीलाल श्रीवास्तव, रमेश कुमार गुप्ता, अंकेक्षक मोहम्मद निजामुद्दीन, सह कोषाध्यक्ष कृष्णा साह, कार्यक्रम परियोजना सह-संयोजक विश्वनाथ प्रसाद तथा अजय कुमार आदि उपस्थित थे।

    व्यापारियों ने पड़ोसी देश नेपाल मे अमन-चैन एवं सुख-शांति की कामना की। नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की को शुभकामनाएं एवं आंदोलन में शहीद युवकों को श्रद्धाजंलि दिया।

    इस बैठक में चैंबर के सदस्यों की संख्या में वृद्धि के लिए उपाध्यक्ष दिनेश प्रसाद के संयोजन में एक कमेटी बनाई गई। व्यापारिक हितार्थ गतिविधियों के साथ-साथ समाजसेवी क्रियाकलापों को करने पर विचार-विमर्श हुआ। सर्वसम्मति से निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाने का निर्णय लिया गया।