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    एक ही क्यारी में तीन फसलों की खेती

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 04 Apr 2019 06:26 AM (IST)

    पूर्वी चंपारण के संग्रामपुर प्रखंड की उत्तरी भवानीपुर पंचायत के कुशवाहा ग्राम निवासी नवल किशोर कुशवाहा किसानी से विकास की कहानी लिख रहे हैं।

    एक ही क्यारी में तीन फसलों की खेती

    मोतिहारी। पूर्वी चंपारण के संग्रामपुर प्रखंड की उत्तरी भवानीपुर पंचायत के कुशवाहा ग्राम निवासी नवल किशोर कुशवाहा किसानी से विकास की कहानी लिख रहे हैं। एक ही खेत में एक क्यारी तैयार करते हैं। तीन-तीन फसल उगाते हैं। बेहतर उत्पादन कर लोगों को मिश्रित खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ये पिछले पांच वर्षो से अपनी दो एकड़ भूमि में आलू-मक्का व मेंथा की खेती करते हैं। एक सीजन में दो से ढाई लाख की कमाई करते हैं। रवि सीजन में पहले आलू और मक्का लगाते हैं। अलग से एक नर्सरी तैयार करते हैं। फिर उसमें मेंथा का पौधा उगाकर रखते हैं। जैसे खेत से आलू निकल जाता है। उसके एक दो रोज के बाद ही मक्के की लगी फसल के साथ क्यारी के बीच मेंथा पौधा लगाते हैं। सबसे अहम है कि उस खेत में लगे मक्के को होरहा (भुट्टा) रूप में मंडी में ले जाकर बेच देते हैं। मेंथा को शुरुआत मई माह में काट कर डिस्लेशन मशीन में वाष्पीकरण के माध्यम से उसका तेल निकालते हैं। पुन: उन्हीं पौधों की सिचाई करके महज साठ दिनों में दोबारा कटिग करते हैं। उनकी माने तो प्रत्येक एकड़ में आलू से अस्सी हजार, भुट्टे को बेचकर प्रति एकड़ बीस हजार और मेंथा की दो बार कटिग करके लगभग एक लाख पचीस हजार के करीब प्रति एकड़ कमाई करते हैं। कुल मिलाकर महज दो एकड़ में ही दो से ढाई लाख की आय एक सीजन में ही करते हैं। किसानों को देते हैं जानकारी

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    नवल की किसानी प्रखंड के किसानों के लिए प्रेरक हैं। कई किसान इनसे खेती के गुर सीखते हैं। नवल अपनी खेती के तरीकों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि जो किसान उनसे कुछ सीखना चाहते है, उन्हें सही व वास्तविक जानकारी दी जाए। इसके लिए वे खुद उनके खेतों में जाकर फसल लगवाते हैं और कैसे ज्यादा उत्पादन लिया जाए, इसकी ट्रेनिग देते हैं। 2009 में लखनऊ में लिया था प्रशिक्षण उन्नत कृषि की बाबत नवल किशोर बताते हैं कि वर्ष 2009 में वे किसानों के प्रशिक्षण में लखनऊ गए थे। वहां प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण लेकर लौटने के दौरान उत्तर प्रदेश के कई गांवों का दौरा कर एक खेती में तिहरे फसल की खेती करने की जानकारी ली।गांव लौटे तो अपने खेत में तिहरी खेती करना आरंभ किया और आज सफल हैं।