Bihar News: सेप्टिक वार्ड में पहली बार गूंजी बच्चे की किलकारी, HIV पीड़ित महिला ने बेटे को दिया जन्म
लंबे समय के बाद बुधवार को मोतिहारी के सद अस्पताल में एक एचआईवी पीड़ित महिला का सफलतापूर्वक प्रसव कराया गया। महिला को पहले से एचआईवी होने की जानकारी नहीं थी। प्रसव के लिए वह जब सदर अस्पताल के मातृ शिशु अस्पताल पहुंची तो जांच में महिला को एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। पहले की व्यवस्था में इस तरह के मामलों में चिकित्सक गर्भवती का प्रसव कराने से इनकार कर देते थे।
संवाद सहयोगी, मोतिहारी। प्रसव पीड़ित महिला को लेकर सदर अस्पताल की व्यवस्था में बुधवार को सुधार नजर आया है। लंबे समय के बाद बुधवार को यहां एक एचआईवी पीड़ित महिला का सफलतापूर्वक प्रसव कराया गया। महिला को पहले से एचआईवी होने की जानकारी नहीं थी।
प्रसव के लिए वह जब सदर अस्पताल के मातृ शिशु अस्पताल पहुंची तो जांच में महिला को एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। पहले की व्यवस्था में इस तरह के मामलों में चिकित्सक गर्भवती का प्रसव कराने से इनकार कर देते थे। महिला को हायर सेंटर भेज दिया जाता था। इस बार अस्पताल की व्यवस्था बदली है।
जांच में महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी महिला का प्रसव मातृ शिशु अस्पताल में बने सेप्टिक वार्ड में डॉ. रश्मि श्री व नर्सिंग स्टाफ के द्वारा सफलतापूर्वक कराया गया। जच्चा व बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं।
बता दें कि दैनिक जागरण 14 मई के अंक में पेज संख्या तीन पर 'तड़पती रही हेपेटाइटिस पीड़ित प्रसूता, बरामदे पर बच्ची का जन्म' शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था। इस खबर के बाद सिविल सर्जन ने जांच का आदेश दिया था। अब सेप्टिक वार्ड में प्रसव कराने के बाद व्यवस्था में सुधार की उम्मीद जगी है।
पीपीई किट पहनकर कराया गया प्रसव
एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित गर्भवती महिला का प्रसव कराने में चिकित्सक के साथ हीं स्टाफ नर्स को भी संक्रमण का खतरा रहता है। यहीं कारण है कि ऐसे मामलों में चिकित्सक व प्रसव कार्य में लगी नर्सिंग स्टाफ दोनों को हीं एहतियात बरतनी पड़ती है।इस मामले में भी चिकित्सक व स्टाफ दोनों ने पीपीई किट पहन कर महिला का प्रसव कराया। इसके अलावा एचआईवी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से ग्रसित गर्भवती महिला के प्रसव के दौरान काम आने वाले चिकित्सकीय उपकरण भी अलग से इस्तेमाल किए जाते हैं। प्रसव के बाद महिला को सामान्य बेड से अलग सेप्टिक वार्ड में हीं रखा गया है।
वहीं, बच्चे को एसएनसीयू के चिकित्सक को दिखाने की प्रक्रिया की जा रही थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो ऐसे मामलों में जन्म लेने वाले नवजात को 48 घंटे के अंदर नेब्रापिन ड्राप पिलाना होता है। प्रसव कार्य में प्रसव वार्ड की इंचार्ज शांति सिंह, नर्स सविता कुमारी, रीमा कुमारी, संयुक्ता कुमारी का अहम योगदान रहा।
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