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    Bihar Election 2025: गोविंदगंज सीट पर आसान नहीं होगी एनडीए की राह, BJP- LJP(R) दोनों कर रहे दावेदारी

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 01:28 PM (IST)

    पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज में राजनीति अपनत्व और दबंगई का मिश्रण है। 1998 से यहाँ बदलाव की लहर है। पूर्व विधायक मीना द्विवेदी के जदयू छोड़ने से वोटों के बिखराव की आशंका है। विरासत की राजनीति के चलते यहाँ दल-बदल का इतिहास रहा है। इस बार लोजपा (आर) एनडीए का हिस्सा है। मीना द्विवेदी का कहना है कि उनकी निष्ठा का सम्मान नहीं हुआ इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी।

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    भावनाओं के बवंडर में गोता लगा रहा गोविंदगंज

    संजय कुमार उपाध्याय, मोतिहारी। पूर्वी चंपारण की गोविंदगंज विधानसभा सीट की राजनीति अपनत्व व व्यक्तित्व की दोनों दीवानी है। दबंगई के किस्से भी यहां खूब कहे-सुने जाते हैं। सदानीरा नारायणी व बाबा सोमेश्वर नाथ की शीतल छाया में पल-बढ़ रहे यहां के लोग 1998 से बदलाव कर रहे। यानी किसी को भी जब दिल से लगाते तो खूब प्यार बरसाते। जब नाराज होते तो वही प्यार राजनीति में भी भावनाओं का बवंडर लेकर आता है।

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    इस बार के चुनाव में भी गोविंदगंज भावनाओं के बवंडर में गोता लगाते नजर आ रहा। यहां की पूर्व विधायक मीना द्विवेदी ने जनता दल यूनाइटेड का साथ चुनाव के ठीक पहले छोड़ दिया है। यही कारण है कि इस बार कयास लगाए जा रहे हैं कि अत्यधिक वर्षा में जिस तरह से नारायणी की धारा सब कुछ बहा ले जाने को आतुर रहती है ठीक उसी तरह इस बार के विधानसभा चुनाव में भितरघात की राजनीति सब कुछ बहा ले जाती है।

    इस बार मीना के अलग होने और लोजपा (आर) के एनडीए का हिस्सा होने को लेकर अटकलें तेज हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार वोट बिखराव की जमीन भी तैयार हो रही। इसे रोकना सभी गठबंधन दलों के लिए चुनौती है।

    दरअसल, मीना द्विवेदी की जो राजनीति है उसका नाता विरासत से है। विरासत दबंग देवर देवेंद्रनाथ दुबे द्वारा समता पार्टी से शुरू की गई राजनीति के साथ बनी। 1995 में अपनी दबंग छवि के साथ समता पार्टी से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए।

    1998 में लोकसभा चुनाव के समय देवेंद्र की हत्या उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र के बरियरिया गांव में हो गई। इसके बाद हुए चुनाव उनके भाई भूपेंद्रनाथ दूबे समता से ही चुनाव जीत गए, लेकिन 2000 में हुए चुनावों में देवेंद्र के साथी राजन तिवारी अपनी दबंग छवि के साथ सुरक्षा की गारंटी देते हुए लोगों के बीच उतरे और उनके ही भाई भूपेंद्रनाथ दुबे को हराकर चुनाव जीत गए।

    2005 में समता के बाद जनता दल यू जब बना तो मीना द्विवेदी प्रत्याशी बनी और इस साल हुए दोनों चुनावों में जीती। 2010 में भी वहीं जीती। ये उस दौर का आरंभ था जब हालात व परिस्थितियों के बीच यहां की आबादी चुनाव में अपना विधायक बदलने की आदी हो रही थी।

    2015 में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर राजन के बड़े भाई राजू तिवारी चुनाव लड़े और कांग्रेस के ब्रजेश पांडेय को हराकर जीत गए। 2020 का भी चुनाव बदलाव लेकर आया यहां से भारतीय जनता पार्टी के सुनील मणि तिवारी कांग्रेस के प्रत्याशी ब्रजेश पांडेय को हराकर जीते। इस चुनाव में लोजपा अकेले था और राजू तिवारी चुनाव हार गए थे।

    इस बार के चुनाव में लोजपा (आर) एनडीए का हिस्सा है। यानी भाजपा, जदयू, लोजपा (आर), हम, रालोमो एक साथ हैं। राजू तिवारी लोजपा (आर) के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इस बीच मीना द्विवेदी का जदयू से अलग होना नई राजनीति के आरंभ और वोट बिखराव के कारण के तौर पर देखा जा रहा है।

    इंटरनेट मीडिया पर मीना समर्थक भावनात्मक पोस्ट कर सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक किसी भी दल की ओर से प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। इन सबके बीच यहां के लोग जब मौन तोड़ते हैं तो कहते हैं- इस बार तो जन भरोसे की कसौटी पर सभी सूरमा कसे जाएंगे। हमारा नाम न जानिए बस इतना जान लीजिए कि इस बार सब कुछ बहा ले जाने वाली नारायणी की धार पर यहां की राजनीति बैठी है।

    बगावत के सुर में माधुर्य संग चुनाव लड़ने की तैयारी

    इस्तीफे के सवाल पर पूर्व विधायक मीना द्विवेदी कहती हैं कि हमने और हमारे परिवार ने समता पार्टी से लेकर जनता दल यूनाइटेड के साथ रहकर निष्ठा के साथ काम किया है। 2015 में लोजपा एनडीए का हिस्सा थी। 2020 में अलग हुई तो सीट भाजपा को दे दी गई।

    मेरी निष्ठा का सम्मान कहीं नहीं किया। बीच में मैं अब से डेढ़ महीने पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिली, लेकिन आश्वासन मिला। गारंटी नहीं। इसलिए दल से नाता तोड़ लिया। त्याग पत्र भेज दिया। जनता मन बना रही। जनता ने कहा तो चुनाव भी लड़ूंगी।

    अब तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक

    वर्ष नाम पार्टी
    1952 शिवधारी पांडेय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
    1957 ध्रुव नारायण मणि त्रिपाठी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
    1962 ध्रुव नारायण मणि त्रिपाठी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
    1967 ध्रुव नारायण मणि त्रिपाठी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
    1969 हरी शंकर शर्मा भारतीय जनसंघ
    1972 हरी शंकर शर्मा भारतीय जनसंघ
    1977 रमा शंकर पांडेय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
    1980 रमा शंकर पांडेय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
    1985 योगेंद्र पांडे स्वतंत्र
    1990 योगेंद्र पांडे जनता दल
    1995 देवेंद्र नाथ दुबे समता पार्टी
    1998 भूपेंद्र नाथ दुबे समता पार्टी
    2000 राजन तिवारी स्वतंत्र
    2005 मीना द्विवेदी जनता दल (यूनाइटेड)
    2005 मीना द्विवेदी जनता दल (यूनाइटेड)
    2010 मीना द्विवेदी जनता दल (यूनाइटेड)
    2015 राजू तिवारी लोक जनशक्ति पार्टी
    2020 सुनील मणि तिवारी भारतीय जनता पार्टी

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