Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भजन कीर्तन से लोगों को किया जागरूक

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 18 Sep 2019 11:18 PM (IST)

    मोतिहारी। रक्सौल में भारत-नेपाल सीमा के विभिन्न स्थलों पर इस्कॉन पांच सदस्यीय दल ने संकीर्तन का आयोजन किया।

    भजन कीर्तन से लोगों को किया जागरूक

    मोतिहारी। रक्सौल में भारत-नेपाल सीमा के विभिन्न स्थलों पर इस्कॉन पांच सदस्यीय दल ने संकीर्तन का आयोजन किया। इस दौरान भारतीय सभ्यता-संस्कृति के संबंध में लोगों को जानकारी दी। इस दल के रघुनाथ दास, अमन सागर, हनी प्रभु माता देवजनी देवी दासी ने भाव नृत्य संगीत और भजन कीर्तन के द्वारा लोगों को जागरूक किया। बताया कि भारतीय सभ्यता संस्कृति को लोग तेजी से अपना रहे है। देश के विभिन्न प्रदेशों और यूरोपियन देशों से आए महिलाओं और पुरुषों का दल ने लोगों को बताया कि चंदन, तुलसी और रुद्राक्ष की माला हम ईश्वर को समर्पित करने के लिए धारण करते हैं। लोहापट्टी में विश्वनाथ रूंगटा और बैंक रोड में महेश अग्रवाल के दरवाजे पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें दोनों देशों के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोक्ष व शांति के लिए आवश्यक है संकीर्तन

    संकीर्तन स्वयं के मोक्ष और शांति के लिए आवश्यक है। भारतीय सभ्यता-संस्कृति में महिलाओं को शक्ति के रूप में पूजा जाता है । ऊक्त बातें इस्कॉन के पश्चिम बंगाल से आई माता देवजनी देवी दासी ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कही। बताया कि ईश्वर स्वयं भोजन नहीं करते। लेकिन, लोगों को जरूर खिलाते है। प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर है। स्वार्थ, ईष्र्या, द्वेष से जो ऊपर उठकर समाज में जो कार्य करते है। उन्हें लोग आज भी कदर करते है। मनुष्य अधिकार को छोड़ केवल कर्म करें तो मोक्ष की प्राप्ति होगी। आधुनिक भौतिकवादी युग में युवा पीढ़ी यूरोपियन सभ्यता के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। वहीं यूरोपियन लोग कृष्ण भक्ति और गीता के उपदेश और रामायण के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। राम, सीता, कृष्ण और राधा के चरित्र को अपनाने में लगे हैं। इसके लिए इस्कॉन प्रत्येक मोहल्लों में संकीर्तन का आयोजन कर लोगों को जागरूक कर रहे है। बताया कि पूरे विश्व में छोटे बड़े 4006 मंदिर और सेंटर है। धोती, कुर्ता और साड़ी धारण कर बैठकर भोजन करने का सुझाव दिया।