पूर्वी चंपारण के रक्सौल में आज पारंपरिक ढंग से मनाया जा रहा भैया दूज, दीर्घायु की कामना
बहने रेंगनी का कांटा जीभ पर चुभा भाई के दीर्घायु होने की करती है कामना। बिहार की परंपरागत पूजा भैया दूज गोधन कूटने के नाम से है विख्यात।परंपराओं के अनुसार आज से शादी-विवाह के लिए शुरू हो जाएगी बातचीत का दौर।

रक्सौल (पूर्वी चंपारण), जासं। भाई-बहनों के प्रेम का प्रतीक पर्व भैया दूज परंपरागत हर्षोल्लास के माहौल में मनाया जा रहा है। बिहार में चार दिनों तक दीपावली का पर्व मनाया जाता है। यह धनतेरस से शुरू होकर भैयादूज यानी दीपावली के एक दिन बाद तक होता है। इस वर्ष ग्रहण के कारण दो दिन बाद इसे मनाया जा रहा है। इसी दिन सृष्टि के प्रथम न्यायाधीश भगवान चित्रगुप्त की पूजा होती है। बिहार में धूमधाम से मनाए जाने वाला यह पर्व गोधन कूटने के नाम से विख्यात है। इसमें महिलाएं सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा कर गोधन कूटती हैं। परंपरागत गीत गाती हैं। भैया दूज पर बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना की तो वहीं भाइयों ने भी बहनों को उपहार देकर हर मुश्किल घड़ी में साथ देने का वचन दिया।
भाई को शाप देने की अनूठी परंपरा
बहनों ने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर हाथ में कलेवा बांधा और मुंह मीठा कराकर उनकी लंबी आयु की कामना की। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर भोजन कराया था। इस अवसर पर यमलोक में उत्सव भी हुआ था। मान्यता है कि इस दिन बहन के घर जाकर उनके हाथ का बना हुआ भोजन करने व उन्हें यथाशक्ति दान देने से पापियों को भी यमराज छोड़ देते हैं। इस तिथि में बहन के द्वारा अपने भाइयों को श्रापने की परंपरा है और पुनः बहनें अपने जिह्वा पर रेंगनी के कांटों को चुभाती हैं। इस दिन का बहन का श्राप भाइयों के लिए आशीर्वाद होता है। बहनें इस दिन व्रत रखकर भाई के माथे पर तिलक लगाकर भाई के दीर्घ जीवन की कामना करती हैं।
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