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    स्वतंत्रता संग्राम का अलख जगाने को रक्सौल में दो बार पड़ चुके है बापू के 'कदम'

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 01 Oct 2021 11:43 PM (IST)

    मोतिहारी । देश को अंग्रेजों के बेड़ियों से आजाद कराने के लिए बापू के कदम रक्सौल शहर में भी पड़ चुके हैद्य स्वतंत्रता संग्राम का अलख जगाने नेपाल के सीमाव ...और पढ़ें

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    स्वतंत्रता संग्राम का अलख जगाने को रक्सौल में दो बार पड़ चुके है बापू के 'कदम'

    मोतिहारी । देश को अंग्रेजों के बेड़ियों से आजाद कराने के लिए बापू के कदम रक्सौल शहर में भी पड़ चुके हैद्य स्वतंत्रता संग्राम का अलख जगाने नेपाल के सीमावर्ती शहर रक्सौल में भी दो बार आए थे महात्मा गांधी। इसका उल्लेख किताबों और पत्रों में अंकित है। गांधी जी का रक्सौल आगमन वर्ष 1917 व 9 दिसंबर 1920 को हुआ थाद्य अपने आगमन के क्रम में बापू ने एक राष्ट्रीय विधालय खोलने का आह्ववान किया थाद्य रक्सौलवासियों को इस बात का मलाल हैं कि चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के अवसर पर रक्सौल को नजरअंदाज कर दिया गया। बिहार सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में मोतिहारी को केंद्र बनाया गया था। इसको लेकर डॉ. प्रो. स्वयंभू शलभ ने प्रधानमंत्री कार्यालय सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा, तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, तत्कालीन पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार, सांसद डॉ. संजय जायसवाल, तत्कालीन विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह एवं जिलाधिकारी व एसडीओ को पत्र भेज कर जानकारी दी थी। जिसमें बताया था कि उन्होंने 9 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी के रक्सौल आगमन का उल्लेख किया है। उस समय उन्होंने एक राष्ट्रीय विद्यालय खोलने का आह्ववान किया था। इसका उल्लेख गांधी के निजी सचिव रहे स्व. महादेव देसाई की डायरी के पन्ने में है जो उनके (गांधी जी) यात्रा की पुष्टि करती हैं। साथ ही 1907 में हडसन साहब के मैनेजर फलेजर साहब ने रक्सौल नगर की नींव डाली थी और इस क्षेत्र के सुनियोजित विस्तार के लिए लोगों को प्रेरित किया था। इसलिए इस नगर को 'फलेजरगंज' के नाम से भी जाना गया। बाद में मैनेजर जेपी एडवर्ड ने भी इस नगर के विस्तार में दिलचस्पी ली जिनका निवास स्थान प्रखंड क्षेत्र में हरदिया कोठी बना। रक्सौल आने के बाद 17 एवं 21 मई 1917 को महात्मा गांधी द्वारा जेपी एडवर्ड को लिखे पत्र में भी रक्सौल के लोगों की समस्याओं पर उनकी (महात्मा गांधी) चिता को दर्शाते हैं। ऐतिहासिक कार्यों का अध्ययन करते समय इतिहासकार के उल्लेखों को साक्ष्यों और तथ्यों के आलोक में देखे जाने की आवश्यकता होती है। ऐसी कई पुस्तकें है जो महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन से जुड़े विभिन्न संदर्भों का विवरण देती हैं। उनके साथ यहां के इतिहासकारों और विशेषज्ञों की राय लेकर इस श्रृंखला में रक्सौल को भी शामिल करने की मांग की गई है। नेपाल में प्रवेश के लिए भारत का रक्सौल शहर मुख्य प्रवेश द्वार है। देशी-विदेशी पर्यटकों और नेपाल से हजारों लोगों का आवागमन होता है। इस अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल को गांधी सर्किट से जोड़ने की आवश्यकता है। जिससे इस क्षेत्र का समुचित विकास हो सके। जबकि रक्सौल जिला के लिए प्रस्तावित है। अगर रक्सौल जिला बनता है तो इसका नाम उत्तरी चंपारण होगा।

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    प्रधानमंत्री ने लिया था संज्ञान, जिलाधिकारी को लिखा पत्र

    महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह की कड़ी में रक्सौल को जोड़े जाने के मामले में डा. प्रो. स्वयंभू अपील पर संज्ञान लेते हुए बीते वर्ष 4 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारी पूर्वी चंपारण को मेल भी भेजा था। पीएमओ द्वारा इस मामले को गंभीरता से लेकर सीधे डीएम को अग्रसारित किये जाने के बाद रक्सौल को इस कड़ी में शामिल करने की उम्मीद जगी है। पिछलें वर्ष 1 अप्रैल को पीएमओ में दर्ज उक्त अपील में निवेदन किया गया था कि केंद्र और बिहार सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में रक्सौल को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। इससे पहले उन्होंने उक्त अपील में महात्मा गांधी के रक्सौल आगमन से संबंधित विभिन्न पुस्तकों, संदर्भों के साथ रक्सौल के लोगों की समस्या को लेकर हरदिया कोठी के मैनेजर जेपीएडवर्ड को लिखे महात्मा गांधी के पत्रों के हवाले से बताया गया कि रक्सौल को इस समारोह की श्रृंखला से अलग रखना न सिर्फ इस ऐतिहासिक भूमि के प्रति अन्याय होगा बल्कि आने वाली पीढि़यां भी चंपारण सत्याग्रह के इतिहास को समग्रता से नहीं समझ पाएंगी।