Move to Jagran APP

बर्बाद होने के कगार पर अरेराज लौरिया अशोक स्तंभ

अरेराज अनुमंडल मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित ऐतिहासिक महत्व का दुर्लभ अशोक स्तंभ आज बर्बाद होने के कगार पर है। अव्वल तो यह कि इस ओर किसी का कोई ध्यान नहीं है। यहीं कारण है कि यह राष्ट्रीय धरोहर दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 12:35 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 12:35 AM (IST)
बर्बाद होने के कगार पर अरेराज लौरिया अशोक स्तंभ
बर्बाद होने के कगार पर अरेराज लौरिया अशोक स्तंभ

मोतिहारी । अरेराज अनुमंडल मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित ऐतिहासिक महत्व का दुर्लभ अशोक स्तंभ आज बर्बाद होने के कगार पर है। अव्वल तो यह कि इस ओर किसी का कोई ध्यान नहीं है। यहीं कारण है कि यह राष्ट्रीय धरोहर दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। किसी भी स्थानीय अधिकारी, राजनेता या पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का ध्यान इस तरफ नहीं है। करीब तीन एकड़ परिसर में स्थित इस स्तंभ के चारों तरफ घास फूस, झाड़ी और पेड़ उगाकर जंगल में तब्दील हो गए है। अशोक स्तंभ के निचले हिस्से के सभी कंक्रीट और प्लास्टर टूट कर गिर रहे हैं। बहुत कम समय में सम्राट अशोक द्वारा पाली भाषा में उत्कीर्ण किया हुआ शिलालेख भी बर्बाद होने के कगार पर है। हालांकि, पूर्वी चंपारण के तत्कालीन जिलाधिकारी रमन कुमार ने इस परिसर की दुर्दशा एवं सौंदर्यीकरण कार्य की काफी लापरवाही को देखकर तत्कालीन अनुमंडलाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र को पुरातत्व विभाग से पत्राचार कर इसके जीर्णोद्धार के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। लेकिन, वह भी फाइलों में ही दबकर रह गया। यद्यपि यह जिला प्रशासन के कार्य क्षेत्र में नहीं है तथापि पुरातात्विक महत्व का अत्यंत मूल्यवान धरोहर है, इसकी सुरक्षा उच्च कोटि के स्तर का रखरखाव व देशी विदेशी पर्यटकों के मद्देनजर इस परिसर की पर्यटन की ²ष्टि से सर्वोत्तम बनाने का प्रयास अपेक्षित है। उल्लेखनीय है कि आज से तीन हजार वर्ष पूर्व यहां भगवान बुद्ध का आगमन हुआ था। आगमन के एक एक सौ वर्ष बाद प्रियदर्शी सम्राट अशोक ने जहां जहां भगवान बुध गए थे वहां वहां उनकी पावन स्मृति में कुछ ना कुछ निर्माण हुआ। इसी क्रम में प्रियदर्शी सम्राट अशोक द्वारा यह अशोक स्तंभ बनवाया गया। इस पर पाली भाषा के ब्राह्मी लिपि में उन्होंने अपने राजाज्ञा का उत्कीर्ण कराया था। ब्रह्म लिपि देवनागरी लिपि की जननी बताया जाता है। पाली भाषा के ब्राह्मी लिपि में उन्होंने लिखवाया है की धर्म करना अच्छा है। धर्म यहीं है कि पाप से दूर रहें, बहुत से अच्छे काम करें, दया दान सत्य और पवित्रता का पालन करें, दोपाया, चौपाया , पक्षियों और जलचर जीवों पर भी कृपा करें उन्हें जीवनदान दें। मनुष्य को क्रूरता, निष्ठुरता, क्रोध, मान, ईष्र्या से दूर रहना चाहिए। ऐसा करने से इस लोक में सुख मिलेगा और मेरा परलोक भी बनेगा।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.