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    बदहाली का शिकार ANM प्रशिक्षण केंद्र, बिना शिक्षकों के हो रहा संचालन

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 04:58 PM (IST)

    बिहार में एक ANM प्रशिक्षण केंद्र शिक्षकों की कमी और बदहाल बुनियादी ढांचे से जूझ रहा है। कक्षाओं और छात्रावासों की जर्जर हालत के कारण छात्रों को परेशानी हो रही है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है, जिससे छात्रों में निराशा व्याप्त है।

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     यहां बिना शिक्षक के ही एएनएम प्रशिक्षण केंद्र का होता संचालन। फोटो जागरण

    शशिरंजन सिंह, पकड़ीदयाल। पकड़ीदयाल नगर पंचायत के वार्ड संख्या चार स्थित एएनएम प्रशिक्षण केंद्र एवं छात्रावास उपेक्षा और बदहाली की तस्वीर पेश कर रहा है।

    लगभग दो एकड़ भूभाग में सात करोड़ 65 लाख रुपये की लागत से वर्ष 2018 में तैयार यह भवन उद्घाटन के बाद भी वर्षों तक बंद पड़ा रहा। वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इसका वर्चुअल उद्घाटन किया गया था।

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    इसी के साथ लोगों को लगा कि अब यहां नर्सिंग की पढ़ाई सुलभ होगी और स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित नर्सें तैयार होंगी। छत्तीस कमरों वाले छात्रावास और चार बड़े हाल से सुसज्जित यह भवन मई 2022 में विभाग को सौंपा गया। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण लंबे समय तक यहां कोई गतिविधि शुरू नहीं हो सकी।

    आखिरकार स्थानीय लोगों की पहल और दबाव के बाद वर्ष 2024 में इसकी शुरुआत हुई और 36 छात्राओं का नामांकन हुआ। नामांकन तो हो गया, लेकिन पढ़ाई के लिए अब तक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। छात्राएं छात्रावास में रह रही हैं, लेकिन उन्हें नियमित क्लास और पढ़ाई का अवसर नहीं मिल रहा।

    प्रशिक्षण केंद्र में आठ प्रकार के पदों पर चौदह लोगों की नियुक्ति स्वीकृत की गई थी। इनमें प्राचार्य का एक, ट्यूटर के छह, उच्च वर्गीय लिपिक का एक, निम्न वर्गीय लिपिक का एक, वार्डन का एक, लाइब्रेरियन का एक और प्रचारी के दो पद शामिल हैं। लेकिन इन सभी में केवल प्राचार्य की नियुक्ति हुई है, शेष पद आज तक खाली पड़े हैं। यहां पर न शिक्षक हैं और न ही अन्य स्टाफ।

    परिसर में साफ-सफाई का अभाव

    परिसर की स्थिति भी बेहद खराब है। साफ-सफाई के अभाव में जगह-जगह खरपतवार और झाड़ियां उग आए हैं। भवन का दक्षिणी हिस्सा चहारदीवारी के बिना खुला पड़ा है। इससे छात्राओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।

    रात में छात्रावास में रहने वाली लड़कियां खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं और अभिभावक भी परेशान रहते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च कर इतना बड़ा भवन बनवाना और उसका सही इस्तेमाल नहीं करना, सिस्टम पर बड़ा सवाल है।

    क्या कहते हैं लोग

    पकड़ीदयाल के मुकेश कुमार ने कहा कि विभागीय लापरवाही से करोड़ों का भवन खंडहर बनता जा रहा है। चहारदीवारी अधूरी है, शिक्षक नहीं हैं। पंकज कुमार ने कहा कि जिस इलाके में बेटियों की शिक्षा के लिए बने संस्थान का संचालन ठीक से नहीं हो रहा है, इसे क्या कहा जाएगा।

    वहीं, छात्रा रीना कुमारी कहती हैं कि यहां हमारा नामांकन हुआ है। लेकिन पढ़ाई नहीं हो रही है। जब तक शिक्षक नहीं आएंगे, हमारा भविष्य अधर में रहेगा। अजीत गुप्ता ने कहा कि करोड़ों रुपये खर्च कर बने इस भवन का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे ठीक करने की आवश्यकता है।

    ममता देवी ने कहा कि चुनाव में वादे किए जाते हैं कि बेटियों की पढ़ाई स्थानीय स्तर पर होगी, लेकिन व्यवस्था में अब भी खाई है। इसे पाटना जरूरी है। वार्ड पार्षद टुना प्रसाद ने कहा कि भवन और परिसर की सुरक्षा को लेकर कई बार अधिकारियों से बात की गई, लेकिन उन्होंने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। यह स्थिति बेहद गंभीर है। यह छात्राओं की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।