कहवां से आवेला पियरिया..
मेहसी, निप्र.: लीचीपुरम उत्सव 2013 की आखिरी शाम। शाम ढलते ही लोगों का हुजूम तिरहुत उच्च विद्यालय मेहसी की तरफ मुड़ चुका था। देश विदेश से आये कलाकारों को सुनने की उत्कंठा लोगों के चेहरे पर साफ झलक रही थी। सांस्कृतिक संध्या का आगाज नेपाल से लेकर भारत के सभी बड़े मंचों पर अपने मनोहारी नृत्य से भावविभोर कर देने वाली सात वर्षीया मानसी शर्मा के नृत्य से हुआ। भोजपुर से आये विमल शाहाबादी की टीम ने अपने सुन्दर प्रस्तुतियों से लोगों को आधी रात के बाद तक झूमने पर मजबूर कर दिया। कहवां से आवेला पियरिया, पियरिया लागल झालर हो.. के अलावा काने फुलवा फुलेला, लहा-लही..जैसे पवरिया गीत व देवी वंदना से कलाकारों की जमकर तालियां बटोरी। टीम ने झूमर, जाट-जटिन, झिझियां सोहर जैसे पारंपरिक गीतों की मनोहारी प्रस्तुति दी। विकास कुमार ने मुखौटा नृत्य की प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं स्नेहा, पुष्पा, माला व दीपांजलि ने उत्कृष्ट भावनृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों के दिलों पर राज किया। वीरेन्द्र ओझा विमल एवं अनिता सिंह के गीतों से श्रोता भाव विह्वल होते रहे। मंच संचालन सुदर्शन तिवारी शहाबादी ने किया। यह उत्सव इसलिए भी यादगार बन गई कि भोजपुरी सामाजिक फिल्म दिलदार सांवरिया के अभिनेता यश कुमार एवं अभिनेत्री अंजना सिंह अपने फिल्म प्रमोशन के सिलसिले में उत्सव के मंच पर पहुंचे और फिल्म के गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर लोगों के दिलोदिमाग पर हावी हो गए। इसके बाद सांस्कृतिक मंच की कमान बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका वंदना सिन्हा ने संभाली। उन्होंने अपने कार्यक्रम का आगाज देवी वन्दना निमिया के डार मईया झुलेली झुलनवा.. से करते हुए झुमर गीत से पति-पत्नी के संबंधों की प्रस्तुति दी। विद्यापति की रचना जो बूढ़े हो रहे जवान ये भाई व हमार पियवा देखने में लागेला बिजोड़ गाकर महिलाओं की भी जमकर वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम के दौरान हास्य कलाकार सुनील सारंग दर्शकों को हंसाते व गुदगुदाते रहे। इससे पूर्व दूसरे दिन नए-नए राग-रागिणियों व नृत्य के साथ अपनी बुलंदियों पर दिखा। देश की प्रसिद्ध लोक गायिका सरोज वर्मा लीची बगनवा में सैंया भुलाइल ए दारोगा बाबू, खोज दिही सैंया हमार गाया, पूरा पंडाल लोगों की तालियों से गूंज उठा। सांस्कृतिक संध्या का आगाज मुंबई से आई प्रसिद्ध नृत्यांगना निहारिका ने गंगा अवतरण पर भावनृत्य से किया। सरोज वर्मा ने विद्यापति के गीत जय-जय भैरवी असुर भयाविनी.. व जेकर नाथ विश्वनाथ उ अनाथ कैसे होई जैसे प्रसिद्ध भजन से आगाज किया। इसके बाद गीत-गजल व कजरी व झूमर का दौर, जिसमें सुधि श्रोता इस कदर खो गए कि उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला कि कब रात अपनी चादर समेट ली और सुबह का उजाला हो गया। चर्चित उद्घोषक संजय वर्मा ने किशोर कुमार के गीत भोले ओ भोले से लोगों को भाव विभोर कर रख दिया। वहीं पत्रकार अंजनी अशेष ने हाल क्या है दिलों का ना पूछो सनम.गाकर रंग जमाया। मुंबई की नृत्यांगना निहारिका, प्रीति, आरती व प्रिया ने संजय के निर्देशन में अपने नृत्य से लोगों को नृत्य की गहराई में उतार ले गई। चारों ने पंजाबी भांगड़ा, राजस्थानी, हिंदी, भोजपुरी के अलावा श्रीमती वर्मा के साथ मनोहारी नृत्य का समां बांध दिया। कार्यक्रम के दूसरे दिन के समापन के दौरान श्रीमती वर्मा को उत्सव समिति की ओर से तनुजा ठाकुर ने सम्मानित किया। हारमोनियम पर विजय शर्मा, तबला पर शशिभूषण मिश्रा, आर्गन पर अमृत मिश्रा व पैड पर अमित संगत कर रहे थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में तहसीन खां, चंद्रभूषण कुशवाहा, सर्वेश कुशवाहा, उमेश शर्मा, भारत भूषण सिंह, मनीष कुमार उर्फ पप्पू सिंह, मोइदुर रहमान, रिजवान, संतू कुमार, राजा कुमार, सत्यनारायण झा, मनोज कुमार, जयंत कुमार मोनू सहित अन्य लोग लोगों ने सहयोग किया।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।