Bihar Election 2025 : मतदान खत्म… अब दरभंगा में ‘चुप्पी’ की राजनीति, परिणाम का इंतजार
दरभंगा में मतदान समाप्त होने के बाद राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के बीच चुप्पी छाई हुई है। सभी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। यह चुप्पी परिणाम आने तक जारी रहने की संभावना है। अब सभी को परिणाम का बेसब्री से इंतजार है। बिहार चुनाव 2025 में देखना दिलचस्प होगा कि दरभंगा में 'चुप्पी' की राजनीति का परिणाम किसके पक्ष में जाता है।

बनौली जनता पुस्तकालय मतदान केन्द्र कतार में लगे मतदाता। जागरण
सदरे आलम, सिंहवाड़ा (दरभंगा)। विधानसभा 2025 के चुनाव में मतदाता वोट डालने के बाद भी खामोश हैं। वह किस मुद्दे पर अपने मताधिकार का प्रयोग किए हैं, इस बारे में आम मतदाताओं की चुप्पी ने सभी प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा रखी है।
गांवों में बूथों पर विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ता अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में वोटर को गोलबंद करने में जुटे रहे। लेकिन मतदाता खामोशी धारण कर कुछ बोलने से परहेज करते रहे।
उम्मीदवारों द्वारा युवाओं को गले लगाना और बुजुर्गों के पैर छूना सियासी रणनीति का हिस्सा तो था लेकिन वैसे वोटर व समर्थक भी मतदान के बाद मौन हैं। चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी जनता के बीच अपने पक्ष में वोट व समर्थन का भरपूर प्रयास किये थे। लेकिन अंदरखाने इस बात की चिंता अब भी है कि मतदाता वोटिंग के बाद अपने विचार को प्रकट नहीं कर क्या साबित कर रहे हैं।
हर कोई उम्मीदवार व उनके समर्थक उत्साहित होकर अपने पक्ष में जीत का दावा दावा कर रहा है।वोटिंग के दौरान ग्रमीणों के बीच मुख्य रूप से गुटबाजी देखने को मिली। दलीय और निर्दलीय दोनों खेमे के कार्यकर्ता हार जीत को लेकर अपनी-अपनी बिसात बिछाये रहे।
वोटों के ठेकेदार अपने-अपने इलाके में सक्रिय तो थे लेकिन मतदाता इस बार अलग मूड में दिख रहे थे। न खुलकर समर्थन देने की बात कर रहा है न विरोध कर रहा है। हर कोई हार जीत का आकलन कर अपने उम्मीदवार को विजय बनाने की बात कह रहा था।
बूथों पर ईवीएम में मतदान बंद होने के बाद प्रत्याशियों का टेंशन सबसे अधिक होने लगा है। चुनाव परिणाम किस दिशा में होगी। इसका अंदाजा किसी को नहीं। शाम, दाम, दंड और भेद को नीति अपनाने के बावजूद मतदान के बाद भी वोटरों की चुप्पी प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा रही है।
विधानसभा चुनाव की तिथि घोषणा के बाद से प्रत्याशियों ने अपने पार्टी समर्थक पर विश्वास व्यक्त करने के साथ स्वयं अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश की। अब परिणाम 14 नवंबर को इसका परिणाम देखने को मिलेगा।
मतदान प्रकिया के समापन के बाद समर्थक मतदाता पर नजर रख कर पता लगा रहे हैं कि किसने किसको वोट दिया है। आश्वासन सुनने के साथ खुद असमंजस में हैं। डर है कि कहीं अंतिम समय में मतदाता का मूड विपरीत दिशा में हो गया हो।
जैसा कि हरेक चुनावों की परंपरा रही है। विश्लेषकों का कहना है कि मतदाता अब पहले जैसी भावनाओं में नहीं बहते। वे सब सुनते हैं, देखते हैं, लेकिन बोलते नहीं। उन्हें मालूम है कि चुनावी मौसम में हर प्रत्याशी जनता का सेवक बन जाता है पर चुनाव जितने के बाद वहीं सेवक साहब बन जाता है।

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