दृष्टि दोष निवारण के लिए त्राटक सर्वोत्तम उपाय
आज लोगों का जीवन तनावों से भरा है। जीवन में अनेक तरह के उतार-चढ़ाव व कठिनाइयां आती रहती है।
दरभंगा। आज लोगों का जीवन तनावों से भरा है। जीवन में अनेक तरह के उतार-चढ़ाव व कठिनाइयां आती रहती है। इन परिस्थितियों में आंतरिक व बाह्य संतुलन बनाने में त्राटक विधि काफी महत्वपूर्ण है। यह हठयोग का महत्वपूर्ण अंग है। योग प्रशिक्षक पवन सिंह ने बताया कि हठयोग में छह क्रियाओं की चर्चा है जो शुद्धिकरण पर आधारित है। त्राटक का प्रयोग सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इसे किसी भी आसन में सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, अर्ध पद्मासन आदि या कुर्सी पर बैठ कर भी किया जा सकता है। ध्यान रखें कि जिस स्थान पर त्राटक करें वहां तेज हवा का प्रभाव ना हो। इस विधि को करने के लिए एक मोमबत्ती जला लें और उसे आंखों के समानांतर 3 से 4 फीट की दूरी पर रखें। मोमबत्ती की ऊपरी लौ को बिना पलक गिराए दो से तीन मिनट तक देखें। उसके बाद आंखें बंद कर लें और मोमबत्ती की लौ का ध्यान कीजिए। धीरे-धीरे जब लौ का प्रतिबिब क्षीण पड़ने लगे तो फिर आंखें खोलकर लौ को देखें। ध्यान दें कि आंखों में आंसू या जलन ना हो। ऐसा होने पर तत्काल क्रिया को रोक दें। नए अभ्यासी को दो से तीन मिनट तक इसे करना चाहिए। यह क्रिया मन को शांत करता है, आंखों की रौशनी बढ़ाता है, आंखों में चमक लाता है, मन को एकाग्र करता है, अंत:²ष्टि बढ़ती है, संकल्प शक्ति बढ़ती है। त्राटक क्रिया को करने के लिए उषाकाल या गोधूली बेला सर्वोतम समय होता है। आसन या प्राणायाम के बाद और जप या ध्यान से पूर्व त्राटक किया जाना चाहिए। सावधानी बरतें कि मोमबत्ती की लौ स्थिर हो, यदि हवा के कारण लौ में कंपन होगी तो ²ष्टि दोष बढ़ सकता है। मिर्गी का दौरा आने वाले मरीजों को मोमबत्ती की लौ का उपयोग नहीं करना चाहिए।
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योग का लक्ष्य आत्म अनुभूति : स्वप्न कुमार
बॉडी बिल्डर स्वप्न कुमार मिश्रा कहते हैं कि योग सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मिक विषय है जो मन एवं शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर ध्यान देता है। यह स्वस्थ जीवन-यापन की कला एवं विज्ञान है। योग करने से व्यक्ति की चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती है। जिसने मुक्त अवस्था प्राप्त कर ली, उसे योगी के रूप में पुकारा जाता है। योग का लक्ष्य आत्म-अनुभूति, सभी प्रकार के कष्टों से निजात पाना है, जिससे मोक्ष की अवस्था या कैवल्य की अवस्था प्राप्त होती है।
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जिदगी जीने की कला सिखाता योग : विकास
विकास कुमार कहते हैं कि प्रत्येक दिन का कम से कम आधा घंटा हमें अपने स्वास्थ्य को देना चाहिए। इसके लिए योग से उत्तम साधन कुछ नहीं। योग ना केवल हमें शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है, बल्कि हमें जिदगी जीने की कला भी सिखाता है। जब तक मन स्वस्थ नहीं रहेगा हमारे विचार स्वस्थ नहीं हो सकते। इसलिए, समाज के निर्माण के लिए भी योग परम आवश्यक है। प्रतिदिन आधा घंटा कुछ यौगिक आसन व प्राणायाम का अभ्यास सबको करना चाहिए।
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