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    Darbhanga News : किस गलती की सजा भुगत रहे मछुआरे, क्यों नहीं मिल रहा किसान क्रेडिट कार्ड?

    By Vinay Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 06:07 PM (IST)

    Bihar Latest News : दरभंगा में मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) नहीं मिल रहा है, क्योंकि बैंक उन्हें किसान नहीं मानता। मछुआरे वर्षों से मछली पा ...और पढ़ें

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है। 

    जागरण संवाददाता, दरभंगा । बैंक की उदासीनता के कारण मछली पालक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत ऋण नहीं मिल पर रहा हैं। इसका मुख्य कारण बैंकों को डर है कि यह मछुआरे भी कर्ज माफी के उम्मीद में ऋण नहीं चुकाएंगे, जिससे उनका एनपीए बढ़ सकता है। मछुआरे नाव, जाल, या नाव की मरम्मत जैसी विभिन्न जरूरतों के लिए ऋण चाहते हैं।

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    बैंकों और विभाग ने विभिन्न जरूरतों के लिए ऋण राशि तय की है, जैसे कि देशी नावों के लिए कार्यशील पूंजी 60,000 और निवेश राशि एक लाख तक हो सकती है। केसीसी योजना का उद्देश्य मछुआरा किसानों को उनकी उत्पादन और निवेश आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समय पर और पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराना है।

    ऋण की राशि की मंजूरी कितनी हो, यह बैक पर निर्भर है। बताया जाता है कि किसानों को 60,000 से तीन लाख तक ऋण देने का प्रावधान है। मत्स्य विभाग के रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 से लेकर अब तक केसीसी ऋण प्राप्त करने के लिए 430 मछली पालक किसानों ने आवेदन किया है।

    अभी तक किसी भी किसानों को केसीसी ऋण की स्वीकृति नहीं मिली है। जिले में लगभग दस हजार मछली पालक किसान है। तालाब की बात करें तो लगभग 12 हजार तालाब है। जिनमें 2409 सरकारी तालाब है। जिसका कुल रकवा 9244 हेक्टेयर बताया जा रहा है। जिले में प्रत्येक वर्ष लगभग 90 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है।

    सरकार मछली पालकों को आत्म निर्भर बनाने के लिए कई प्रकार की योजना चला रखी है। बैंक अक्सर मत्स्य पालन को जोखिम भरा मानते हैं या दस्तावेजीकरण में दिक्कत करते हैं, जिससे किसान लोन से वंचित रह जाते हैं।

    जीविका के माध्यम से मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। जीविका के साथ जुड़कर समूह के जरिए ऋण प्राप्त किया जा सकता है। जिसमें केसीसी के तहत ब्याज सब्सिडी दो प्रतिशत की छूट और तीन प्रतिशत प्रोत्साहन भी शामिल है।उसी के तहत किसानों को सस्ती ब्याज दर पर केसीसी ऋण उपलब्ध कराया जाता है।


    केसीसी ऋण को लेकर किसानों से पंचायत स्तर पर शिविर लगाकर जागरूक किया जाता है। आवेदन सृजन कराने के लिए क्षेत्रीय पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है। 2022-2023 से अब तक केसीसी के लिए 430 आवेदन प्राप्त हुआ है। जिसे विभिन्न बैंकों में भेज दिया गया है। अभी तक एक भी किसान का केसीसी ऋण की स्वीकृति नहीं मिली है।
    अनुपम कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, दरभंगा।
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    मछली पालक किसान खेती भी करते है। ऐसा देखा गया है कि जो किसाना खेती करते है। वे पहले ही केसीसी ऋण ले चूके है। इन किसानों को फिर से ऋण नहीं मिल पाता है। कई किसान केसीसी ऋण लेने के बावजूद सही समय पर ऋण नहीं जमा कर पाते है। जिसके कारण इनका सीविल स्कोर कम रहता है। इसके कारण भी बैक ऋण देने से कतराती है।
    विकास कुमार, लिड बैंक प्रबंधक, दरभंगा।