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    किश्त का खौफ ऐसा कि सूना पड़ने लगा गांव, माइक्रो फाइनेंस की वसूली बनी आफत

    By Arun Kumar Rai Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Tue, 16 Dec 2025 10:08 PM (IST)

    कुशेश्वरस्थान में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के वसूली कर्मियों से परेशान होकर कई परिवार पलायन कर रहे हैं। क़िस्त चुकाने के दबाव में मधुबन गांव में एक महि ...और पढ़ें

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है। 

    संवाद सहयोगी, कुशेश्वरस्थान (दरभंगा) । निजी माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के वसूली कर्मियों की कथित प्रताड़ना से कुशेश्वरस्थान दोनों प्रखंडों में भय का माहौल बना हुआ है।

    हालात ऐसे बन गए हैं कि किश्त चुकाने के दबाव से तंग आकर सैकड़ों परिवार अपने घरों में ताला लगाकर पलायन कर चुके हैं, जबकि कई अप्रिय घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।

    इसी कड़ी में दो मार्च को प्रखंड क्षेत्र के मधुबन गांव में एक दर्दनाक घटना घटी। लोन की किश्त समय पर जमा नहीं कर पाने के भय से शंकर मुखिया की 45 वर्षीय पत्नी रीना देवी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

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    बताया जाता है कि रीना देवी ने कई निजी माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से लोन लिया था और दो मार्च को विभिन्न कंपनियों की किश्त जमा करने की तिथि निर्धारित थी। रकम का इंतजाम नहीं हो पाने पर वह वसूली कर्मियों के दबाव और भय को सहन नहीं कर सकीं और फांसी के फंदे लगाकर जान दे दी।

    बता दें कि कुशेश्वरस्थान क्षेत्र में दर्जन भर निजी कंपनियां सक्रिय हैं। आरोप है कि इन कंपनियों के कर्मी केवल आधार और पैन कार्ड के आधार पर 50 से 75 हजार रुपये तक का लोन ऐसे लोगों को दे देते हैं, जिनकी भुगतान क्षमता भी नहीं परखी जाती।

    सिर्फ शर्त यह रहती है कि चाहे हालात जैसे भी हों, हर सप्ताह या 15 दिनों में किश्त हर हाल में जमा करनी होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर वे महिलाएं अधिक प्रभावित हैं, जिनके परिवार के पुरुष सदस्य रोजगार के लिए बाहर रहते हैं।

    तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए महिलाएं लोन तो ले लेती हैं, लेकिन नियमित आय का साधन न होने से किश्त चुकाना उनके लिए भारी पड़ जाता है। आरोप है कि किश्त नहीं मिलने पर वसूली कर्मी अपशब्दों का प्रयोग करते हुए दिनभर दबाव बनाते हैं, जिसे अकेली महिलाएं सहन नहीं कर पातीं।

    स्थिति यह है कि पूर्वी प्रखंड के बुढ़िया सुकराती, केवटगामा, छोटकी कोनिया तथा कुशेश्वरस्थान प्रखंड के बड़गांव और बलहा सहित कई गांवों से दर्जनों परिवार लोन के तकादे और प्रताड़ना से तंग आकर पलायन कर चुके हैं।

    नियमों के अनुसार महिलाओं के समूह बनाकर स्वरोजगार के लिए लोन देने का प्रावधान है, लेकिन आरोप है कि समूह गठन की औपचारिकता निभाकर बिना किसी ठोस रोजगार योजना के ही लोन बांट दिए जाते हैं।

    नतीजतन, एक कंपनी की किश्त चुकाने के लिए दूसरी और फिर तीसरी कंपनी से लोन लेने का दुष्चक्र बन जाता है। इस संबंध में प्रखंड जीविका के पूर्वी प्रखंड जीविका के बीएमपी अन्नु कुमारी ने बताया कि निजी फाइनेंस कंपनियों के कार्यों पर जीविका समूह का कोई नियंत्रण नहीं है।

    वहीं बीडीओ ललन कुमार चौधरी और थाना अध्यक्ष अंकित चौधरी ने कहा कि लोन के दबाव से पलायन की कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। सूचना मिलने पर संबंधित लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।