Darbhanga News : गंभीर वित्तीय घोटाले में फंस गए प्राचार्य, क्या तबादला ही काफी है?
दरभंगा के एक प्राचार्य गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों में घिर गए हैं। मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। आरोप है कि प्राचा ...और पढ़ें

रभंगा इंजीनियरिंग कालेज। जागरण
जागरण संवाददाता, दरभंगा । Darbhanga Latest News : दरभंगा इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य संदीप तिवारी पर गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोप सत्य पाए गए हैं। इसी कारण से उनको दरभंगा से हटाकर शेखपुरा में पदस्थापित करते हुए विभाग ने तबादला पत्र में प्रशासनिक कारण गिनाएं हैं।
प्राचार्य डा. संदीप तिवारी पर विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने राज्यपाल के आदेश से तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। जांच समिति ने अपना प्रतिवेदन विभाग में जमा कर दिया है।
इसी के आलोक में डा. तिवारी को हटाते हुए दरभंगा इंजीनियरिंग कालेज के शिक्षक चंदन कुमार को कार्यकारी व्यवस्था के तहत वित्तीय शक्ति प्रदान करते हुए प्राचार्य बनाया गया है।
दैनिक जागरण ने कई बार दरभंगा इंजीनियरिंग कालेज में विभिन्न उपकरणों की खरीदारी, अधिवक्ताओं की नियुक्ति आदि में बरती जा रही अनियमितताओं से पाठकों को लगातार अवगत कराए रखा। इसी का परिणाम है कि प्राचार्य के खिलाफ विभाग ने ना केवल जांच बिठाई बल्कि उन्हें अन्यत्र भेजकर संदेश दिया है कि मनमानी करने वाले चाहे कोई भी हों उन्हें सरकार नहीं छोड़ेगी।
जांच में यह मिली अनियमितताएं
तकनीकी शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक अतिकुर रहमान, अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार मनीष कांत झा और अपर सचिव सह निदेशक अहमद महमुद की तीन सदस्यीय समिति ने प्राचार्य के खिलाफ प्राप्त परिवाद पत्रों के अलावा कालेज का भौतिक निरीक्षण कर पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है।
समिति ने इलेक्ट्रिकल विभाग में मशीन, लैब एवं पावर इलेक्ट्रानिक्स लैब के लिए कुल 27 लाख 31 हजार 606 रुपये के भुगतान को बिना तकनीकी सत्यापन के पाया। इसके अलावा लैंग्वेज लैब के लिए क्रय की गई मशीन का डाइमेंशन स्पेशिफिकेशन के अनुरूप नहीं पाया था।
समिति ने क्रय किए गए कुछ उपकरण को जरूरी तो कुछ को अनावश्यक बताया था। इसके अलावा सबसे बड़ा आरोप यह पाया गया कि प्राचार्य ने कालेज की ओर से नियुक्त अधिवक्ताओं के मामलों में विभाग को अंधेरे में रखा।
प्राचार्य सरकारी निर्देशों की भी अवहेलना करते थे। नीट की परीक्षा 40 अंक की संचालित करते थे, जबकि इसे 20 अंक के लिए ही विभाग ने संचालित करने का निर्देश दिया था। प्राचार्य ने इस आरोप को समिति के समक्ष स्वीकार भी किया था।

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