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    Darbhanga News : मिथिला की धरती कह रही अब उगाओ मशरूम, कमाओ लाभ

    By Prince Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Tue, 21 Oct 2025 08:13 PM (IST)

    मिथिला में मशरूम की खेती की अपार संभावनाएं हैं। शोधार्थी राहुल कुमार सर्राफ ने डा. कामेश्वर पासवान के मार्गदर्शन में जलवायु का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। इस शोध से मशरूम का उत्पादन आसानी से हो सकता है, जिससे कृषि आय बढ़ेगी और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

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    शोधार्थी राहुल कुमार सर्राफ के साथ डा. कामेश्वर पासवान व प्रो. तपन कुमार शांडिल्य। जागरण

    प्रिंस कुमार, दरभंगा । मशरूम पौष्टिक सब्जी के रूप में मिथिला में उपयोग के रूप में लाया जाता है। हालांकि, इसके मांसाहारी और शाकाहारी को लेकर विवाद लंबे समय से रहा है। लेकिन, अधिकांश लोग इसे शाकाहारी ही मानकर बड़े चाव से शामिल करते हैं। मशरूम का उत्पादन मिथिला में नग्न है। यहां के बाजारों में बाहर से मंगाए जाते हैं।इससे लागत बढ़ जाती है और ऊंचे दर पर लोगों को उपलब्ध कराया जाता है।

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    बाजार में मशरूम सस्ते दर पर होगा उपलब्ध

    ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के शोधार्थी राहुल कुमार सर्राफ ने भू-संपदा पदाधिकारी डा. कामेश्वर पासवान के पर्यवेक्षण में अपने शोध से उम्मीद की नई किरण जगा दी है। शोध के फलाफल को मूर्त रूप दिया जाता है तो, न केवल मिथिला के बाजारों में मशरूम सस्ते दर पर उपलब्ध होगा, बल्कि आय के नए स्रोत विशेष रूप से महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का बहुप्रतिक्षित सपना बड़ी सहजता से साकार किया जाएगा।

    यह शोध ऐसे ही चर्चा में नहीं है, बल्कि राहुल कुमार सर्राफ ने अपने शोध में वर्णनात्मक और विश्लेषणात्मक पद्धति का उपयोग कर मिथिला में मशरूम उत्पादन के लिए जलवायु का गहन अध्ययन किया। वायु एवं धरती की नमी को सालों डा. कामेश्वर पासवान के साथ खेत की मुंडेरों पर जाकर परखा, उसका तुलनात्मक अध्ययन तापमान के माध्यम से किया।

    कृषि आय को बढ़ाने में मिलेगी सहायता 

    जैविक पदार्थों की उपलब्धता मिथिला की माटी में जाकर देखी। इसके बाद अपना निष्कर्ष निकाला कि यहां मशरूम का उत्पादन सहजता से हो सकता है। इससे न केवल कृषि आय को बढ़ाने में सहायता मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के लिए भी आत्मनिर्भरता का सशक्त माध्यम बनाया जा सकता है। आज के परिवेश में जब सतत कृषि, रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही है। ऐसे में डा. राहुल सर्राफ का शोध न केवल उपयोगी माना जा रहा है, बल्कि रोजगार सृजन के क्षेत्र में नई किरण के रूप में भी देखा जा रहा है। शैक्षणिक दृष्टि से तो यह शोध दूसरों को प्रेरित कर ही रहा है, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी नई शोध को शोधकर्ताओं के बीच देखा जा रहा है।

    शोध की प्रस्तुति, स्पष्टता और तर्कसंग्ता अत्यंत प्रभावी और उपयोगी है। शोध के निष्कर्ष को धरातल पर बिना किसी प्रकार की देर किए, क्रियान्वित किया जाना चाहिए। यह शोध मिथिला में नई आर्थिक क्रांति का सिंबल बनेगा।

    - प्रो. तपन कुमार शांडिल्य, पूर्व कुलपति, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची, प्राचार्य, टीपीएस कालेज, पटना।