Darbhanga News : स्कूल परिसर में आपेरेशन ‘डाग स्टाप’... अब मास्टर साहब बनेंगे चौकीदार!
दरभंगा जिला शिक्षा कार्यालय स्कूलों में आवारा कुत्तों को रोकने की तैयारी में है। मध्याह्न भोजन योजना के कारण कुत्तों के प्रवेश की संभावना अधिक है, खासकर प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में जहां सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है। शिक्षक संघ इस निर्णय का विरोध कर रहा है और विभाग से अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने की मांग कर रहा है।

इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
संवाद सहयोगी, दरभंगा। स्कूल परिसरों में आवारा कुत्तों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए शिक्षकों को नोडल पदाधिकारी के रूप में नामित करने की तैयारी जिला शिक्षा कार्यालय में चल रही है। सोमवार को डीईओ ने विभागीय आदेश के आलोक में अनुपालन पत्र निर्गत करने के लिए मंथन शुरू कर दिया। इसका भी कारण है।
विभाग ने सख्त चेतावनी दी है कि आदेश का अनुपालन नहीं होने पर इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि स्कूल स्तर पर तो शिक्षकों नोडल पदाधिकारी नामित करना मजबूरी भी है। क्योंकि आठवीं कक्षा तक के विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना का संचालन किया जाता है।
भोजन की लालच में आवारा कुत्तों के प्रवेश की अधिक संभावना भी वही रहती है। पहली से पांचवीं कक्षा तक के प्राथमिक विद्यालयों में भी मध्याह्न भोजन का संचालन किया जाता है। हालांकि तीन तिहाई विद्यालय परिसर भी सुरक्षित हो गए हैं। चहारदिवारी भी है। गेट भी लग गया है। लेकिन बच्चों और अभिभावकों के आवागमन को लेकर गेट को बंद रखना वहां सबसे बड़ी चुनौती है।
प्रमंडलीय मुख्यालय अवस्थित लहेरियासराय का आदर्श मध्य विद्यालय का विशाल परिसर इसका सटीक उदाहरण है। जहां मुख्य प्रवेश द्वार से 200 मीटर की दूरी पर प्रधानाध्यापक कक्ष अवस्थित है। अगर निर्धारित समय पर प्रवेश द्वार बंद कर दिया जाता है तो किसी अभिभावक और पदाधिकारियों के आने पर कौन प्रवेश द्वार खोलेगा और फिर उनके वापस लौटने पर कौन बंद करेगा। कारण कि आवारा कुत्तों की संख्या इतनी है कि मात्र अवसर मिला और वह परिसर में प्रवेश कर जाते हैं।
दूसरे ,शिक्षक तो कक्षाओं में व्यस्त रहते हैं,अगर उन्हें गेट पर बुलाया गया तो बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी। प्रधानाध्यापक प्रवेश द्वार खोल और बंद कर नहीं सकते, यह व्यावहारिक रूप से संभव भी नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट और विभागीय आदेश का अनुपालन होगा तो कैसे।
कुछ उच्च और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कहीं कहीं आदेशपाल कार्यरत हैं, भोजन का भी चक्कर नहीं है,इसलिए वहां आवारा कुत्तों के प्रवेश पर रोक लगाने में कोई चुनौती नहीं है। प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में आदेशपाल या चतुर्थवर्गीय कर्मी का वजूद ही नहीं है। भोजन का भी मामला है तो असल चुनौती वहीं है।
जिला प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान सचिव श्रीनारायण मंडल ने कहा कि शिक्षकों को इस काम के लिए नोडल पदाधिकारी बनाना कदापि उचित नहीं है। विभाग को प्रत्येक स्कूल में एक आदमी तैनात करना चाहिए।
प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में आया,रसोइया भी तैनात हैं।प्रधानाध्यापक उनसे भी प्रवेश द्वार की सुरक्षा का काम ले सकते हैं।
--केएन सदा, डीईओ, दरभंगा।

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