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    अपने श्रवण पुत्र विवेक की सेवा पर कोरोना से जंग जीत गए रामस्नेही

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 11 May 2021 12:03 AM (IST)

    दरभंगा । हनुमाननगर प्रखंड की नवादा गांव में इन दिनों सबकी जुबान पर रामस्नेही शरण और उन ...और पढ़ें

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    अपने श्रवण पुत्र विवेक की सेवा पर कोरोना से जंग जीत गए रामस्नेही

    दरभंगा । हनुमाननगर प्रखंड की नवादा गांव में इन दिनों सबकी जुबान पर रामस्नेही शरण और उनके इकलौते पुत्र विवेक कुमार का नाम है। दरअसल, दोनों ने मिलकर कोरोना जैसी प्राणघातक बीमारी को हराया है। 45 वर्षीय राम स्नेही शरण ने 15 दिनों में कोरोना को मात देकर समाज में फैले कोरोना की भ्रांति के बीच नवजीवन का संचार किया है। चेहरे पर मीठी मुस्कान लिए कोरोना योद्धा रामस्नेही शरण बतातें हैं- अब सब ठीक है। रिपोर्ट निगेटिव आ गई है। यह सबकुछ संभव हो पाया है मेरे पुत्र विवेक की तीमारदारी के कारण।

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    बताते हैं- जब मेरा बेटा दो साल का था तब पत्नी चल बसी। मैं सियाराम किला झुंनकी घाट अयोध्या से जुड़ गया। सालों से यहां से जुड़ा हूं। वहीं से नौ दिवसीय रामचरितमानस नवाह परायण यज्ञ में 13 अप्रैल 2021 को यूपी के प्रतापगढ़ गया। 18 अप्रैल को तेज बुखार बदन दर्द होने के बाद गाड़ी से अयोध्या लाया गया। आश्रम में हालत सुधरी। लेकिन, रामनवमी के कार्यक्रम में पुन: बीमार हो गया। स्थानीय चिकित्सक की दवा पर हालत में सुधार हुआ। फिर सूबे के नवादा जिला स्थित अकबरपुर प्रखंड के खैरा गांव में राम जानकी मंदिर आश्रम पर आ गए। वहां कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक ली। 2 दिन बाद हालत चिताजनक हो गई। 24 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव होने पर नवादा के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। अपनी स्थिति बिगड़ता देख पुत्र विवेक कुमार को फोन किया। 26 अप्रैल को विवेक मुझे लेकर पटोरी लेकर आया। 27 अप्रैल को डीएमसीएच गए। जहां कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव देख डॉक्टरों ने जिला स्कूल स्थित क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती करा दिया। इलाज के दौरान ऑक्सीजन लेवल 72 तक चला गया। लेकिन, ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा मिलने एवं पुत्र की तीमारदारी तथा ईश्वर में अटूट आस्था एवं ²ढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत स्वस्थ हो गए। कहा- प्रतिरक्षा मानक के साथ पारिवारिक सहयोग हो तो कोरोना की जंग में भी जीवन दीप जलाएंगे।