Move to Jagran APP

तिरहुत रेलवे की इंजन को जीवंत करने में जुटा रेलवे

दरभंगा महाराज के तिरहुत स्टेट रेलवे की धरोहर इंजन को दरभंगा स्टेशन पर सरंक्षित करने के बाद इंडियन रेलवे अब उसे जीवंत करने में जुट गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 12:10 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 12:10 AM (IST)
तिरहुत रेलवे की इंजन को जीवंत करने में जुटा रेलवे
तिरहुत रेलवे की इंजन को जीवंत करने में जुटा रेलवे

दरभंगा। दरभंगा महाराज के तिरहुत स्टेट रेलवे की धरोहर इंजन को दरभंगा स्टेशन पर सरंक्षित करने के बाद इंडियन रेलवे अब उसे जीवंत करने में जुट गई है। लोहट चीनी मिल से लाए गए 133 वर्ष पुरानी इंजन से सिर्फ धुआं ही नहीं निकलेगा बल्कि, सिग्नल भी गिरेगा और नल से पानी भी। इंजन से हॉर्न की आवाज सुनाई देगी और लाइट भी जलेगी। इंजन का कुछ पार्टस काम करता दिखाई देगा। इससे लोगों को यह लगेगा ही नहीं कि यह पुरानी इंजन है। धरोहर को वर्तमान समय में जीवंत दिखाने के लिए कई इंजीनियर को लगाया गया है। समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम रवींद्र जैन योजना को मूर्त रूप देने के लिए पैनी नजर बनाए हुए हैं। योजना के धरातल पर उतरने के बाद यह इंजन इंडियन रेलवे के टॉप हेरीटेज में शामिल हो जाएगा। दरअसल, अब तक हिन्दुस्तान के अंदर जहां भी पुरानी इंजन को धरोहर के रूप संरक्षित किया गया है उसे इस तरह से जीवंत नहीं किया गया है। मसलन, एक साथ धुआं, पानी, आवाज, हॉर्न, सिग्नल, लाइट आदि की व्यवस्था किसी भी संरक्षित इंजन में नहीं है। डीआरएम जैन का यह प्रयास इंडियन रेलवे के लिए अजूबा होगा। इस पायलट प्रोजेक्ट के कामयाब होते ही यह योजना रेलवे के लिए अनुकरणीय हो जाएगी। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बहुत जल्द पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के महाप्रबंधक ललितचंद्र त्रिवेदी इसका लोकार्पण करेंगे।

loksabha election banner

---------------------------------

7 जुलाई को किया गया था संरक्षित :

लोहट चीनी मिल में जंग खा रहे दरभंगा महाराज के रेल इंजन को डीआरएम रवींद्र जैन के प्रयास से 7 जुलाई 2018 को दरभंगा स्टेशन का गौरव बनाया गया। बहुत कम ही लोग जानते हैं कि अंग्रेज हुकूमत में दरभंगा महाराज की 14 कंपनियों में एक रेलवे की कंपनी विश्वविख्यात थी। जिसकी स्थापना 1873 में तिरहुत स्टेट रेलवे के नाम से महाराज लक्ष्मेश्वर ¨सह ने की थी। साथ ही महाराज की 14 कंपनियों में एक स्टेशनरी सामग्री निर्माण करने वाली थैकर्स एंड स्प्रंक कंपनी थी। पूर्वी भारत की यह सबसे बड़ी कंपनी थी जिसमें भारतीय रेल की समय तालिका प्रकाशित होती थी।

-------------------------------- धरोहरों को लगातार

संरक्षित कर रही है रेलवे :

दरभंगा महाराज के तिरहुत स्टेट रेलवे का अधिग्रहण भारतीय रेल ने 1929 में किया। इसके बाद इस कंपनी के सारे अधिकार पर भारतीय रेलवे का कब्जा हो गया। तब से दरभंगा महाराज की यादों को भुला दिया गया था। लेकिन, धीरे-धीरे भारतीय रेल दरभंगा महाराज की यादों एवं रेलवे से जुड़ी धरोहरों को संयोजने में दिलचस्पी दिखाई है। पूर्व मध्य रेल की 150 वीं जयंती पर प्रकाशित स्मारिका में दरभंगा महाराज के शाही सैलून की तस्वीर प्रकाशित कर इतिहास को ¨जदा किया गया। स्थानीय जंक्शन पर एक भव्य बोर्ड लगाकर दरभंगा रेलवे की स्थापना में महाराज के योगदान का उल्लेख किया गया। हाल के दिनों में डीआरएम जैन ने दरभंगा महाराज के योगदान को उल्लेखित किया। दरभंगा स्टेशन से जुड़ी कई दुर्लभ पें¨टग्स को एकत्रित कर प्लेटफार्म संख्या एक पर एक गैलरी बनाई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.