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    PM Kisan Yojana के लाभार्थियों को नहीं मिल रहा KCC का लाभ, बैंक के अधिकारी खड़ी कर रहे मुश्किल

    Updated: Tue, 26 Dec 2023 08:43 PM (IST)

    बैंकों की नीयत किसानों को कर्ज के रूप में पैसा देने की नहीं होती है। किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में बैंकर अन्नदाता को काफी परेशान कर देता है। बैंक अधिकारी गांवों में जाकर न तो केसीसी बनाने का कैंप लगा रहे हैं और न तो किसान के बैंक आने पर उससे ठीक व्यवहार कर रहे हैं इसलिए किसानों के पास भी केसीसी की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

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    PM Kisan Yojana के लाभार्थियों को नहीं मिल रहा KCC का लाभ, बैंक के अधिकारी खड़ी कर रहे मुश्किल

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। केंद्र सरकार ने पीएम-किसान सम्मान निधि योजना का लाभ लेने वालों किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के तहत बैंक से ऋण सरल तरीके से देने की घोषणा की। इसके लिए सरकार ने केसीसी घर-घर अभियान चलाया। यह अभियान पहली अक्टूबर से 31 दिसंबर तक चलना है, लेकिन किसानों को केसीसी लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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    बताया गया कि जिस समय से इस योजना की शुरुआत की गई है। उस समय अधिकांश किसानों ने अंचल कार्यालय से पूर्वज के नाम से चल रहीं राजस्व रशिद को सरपंच से वशंवाली तैयार कर मैनुअल भूमि प्रमाण पत्र यानि एलपीसी बना कर इस योजना के लिए आवेदन कर दिया। किसानों का आवेदन स्वीकृत भी हो गया।

    सरकार ने इसके आलोक में इन किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ दिया, लेकिन अब विभिन्न बैंक के शाखा प्रबंधक केसीसी के लिए ऑनलाइन भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र वाले किसान को ही केसीसी योजना का लाभ देने की बात कह रहे हैं। जिसके कारण छोट-छोटे किसानों को केसीसी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

    एक तरह से सरकार ने पीएम किसान योजना को केसीसी से लिंक कर दिया है, ताकि पीएम किसान स्कीम के रिकॉर्ड पर ही किसान को केसीसी का फायदा मिल सके, लेकिन जिले के किसानों के साथ ऐसा नहीं हो रहा है। बैंक इस योजना के लाभुकों से ऑनलाइन भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र की मांग कर रही है।

    क्या है उद्देश्य?

    दरअसल, देखा यह गया है कि बैंकों की नीयत किसानों को कर्ज के रूप में पैसा देने की नहीं होती है। किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में बैंकर अन्नदाता को काफी परेशान कर देता है। बैंक अधिकारी गांवों में जाकर न तो केसीसी बनाने का कैंप लगा रहे हैं। और न तो किसान के बैंक आने पर उससे ठीक व्यवहार कर रहे हैं, इसलिए अब तक जिले के आधे किसानों के पास भी केसीसी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण किसान साहूकारों से मोटे ब्याज पर पैसा लेकर खेती करने पर मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में सरकार ने नया तोड़ निकालते हुए पीएम-किसान के सभी लाभार्थियों को केसीसी से जोड़ दिया।

    बजट में इसका फैसला लिया गया था। अब जमीनी स्तर पर इसको लागू करने का काम शुरू करना था। सरकार किसानों को उसके जमीन के कागजात और आधार का भौतिक सत्यापन के बाद ही हर साल 6-6 हजार रुपये दे रही है। ऐसे में यह रिकॉर्ड अब क्रेडिट कार्ड बनाने में भी काम आएगा, लेकिन बैंक की उदासीनता के कारण सरकार की योजना को पलिता लग रहा है।

    क्या कहते हैं लाभार्थी?

    बिरौल प्रखंड के नारायणपुर गांव के विमला दास, मुरारी कुमार, अजय कुमार कहते हैं कि जिस समय इस योजना को लागू किया गया उस समय ही योजना के लिए मेनुअल एलपीसी अंचल कार्यालय से बनाया। राजस्व रशिद मेरे ससुर और दादा के नाम से चल रहा है। सरपंच से वंशावली तैयार कर एलपीसी बनावाया, लेकिन जब स्टेट बैंक आंफ इंडिया, सहसराम में केसीसी ऋण के लिए गया तो शाखा प्रबंधक ने बताया की ऑनलाइन भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र देना होगा।

    प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभर्थियों को बैंक की जो प्रक्रिया है उसे पूरा ही करना होगा। केसीसी के लिए भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र अनिवार्य है। उसके बीना किसानों को केसीसी का लाभ नहीं मिल सकता है। - अजय कुमार सिन्हा, लीड बैंक प्रबंधक, दरभंगा

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