Bihar Chunav: सीमांचल के बाद क्या मिथिला में भी उड़ेगी ओवैसी की 'पतंग'? महागठबंधन में मची है हलचल
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के दरभंगा जिले की तीन विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा से महागठबंधन में हलचल है। राजद, कांग्रेस और वामदल इसकी काट ढूंढ रहे हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी के कदम का राजनीतिक मूल्यांकन हो रहा है, समर्थक और विरोधी आमने-सामने हैं।

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
अबुल कैश नैयर, दरभंगा। एआईएमआईएम प्रमुख सांसद असदुद्दीन ओवैसी के जिले की तीन विधान सभा क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा मात्र से ही महागठबंधन के घटक दलों में हड़कंप मच गया है।
हालांकि, किस क्षेत्र से कौन प्रत्याशी होगा, अभी इसकी चर्चा भी नहीं है लेकिन राजद और कांग्रेस के साथ ही वामदलों में अभी से इसके काट की रणनीति खोजी जाने लगी है।
आम मतदाताओं में भी ओवैसी के इस कदम का राजनीतिक मूल्यांकन शुरू हो गया है। जाले, गौड़ाबौराम और केवटी विधानसभा क्षेत्र से मजलिस के उम्मीदवार उतारने पर कहां से वह जीत सकता है या वोट कटवा बनकर किसकी पराजय सुनिश्चित कर किसकी जीत पक्की होगी, इसको लेकर शहर के अल्पसंख्यक बहुल मोहल्लों और गांवों में बहस छिड़ गई है।
विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के युवा वर्ग में ओवैसी के उम्मीदवारों के समर्थन और विरोध के स्वर अभी से बुलंद होने लगे हैं। दरभंगा जिले में ऐसा पहली बार होगा जब ओवैसी के उम्मीदवार वोट मांगने मतदाताओं के पास जाएंगे।
पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में पार्टी प्रमुख दरभंगा में जनसभा कर युवाओं के बीच हवाओं का रुख बदलने वाला जुनूनी भाषण देंगे, तब अल्पसंख्यक तबके के मतदाताओं के बीच जो आंधी उठेगी, उसे संभालना मुश्किल हो जाएगा।
हालांकि, जिले की तीन विधानसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार उतारने की घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। लोगों का कहना है कि यह सीमांचल नहीं है। केवल भाजपा और उसके सहयोगियों को लाभ पहुंचाने के लिए चुनाव लड़ा जा रहा है। इसके विपरीत कुछ लोग कह रहे हैं कि भाजपा का भय दिखाकर कब तक मुसलमानों का वोट लेंगे।
जब ओवैसी ने उम्मीदवार नहीं दिए थे तब भी तो जिले की 10 विधानसभा सीटों में से नौ सीट पर भाजपा और उसके सहयोगियों की जीत हुई थी।
गौड़ाबौराम में पहली बार उड़ेगी पतंग
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मधुबनी क्षेत्र से ओवैसी ने अपना अधिकृत प्रत्याशी दिया था। जिले का जाले और केवटी विधानसभा क्षेत्र भी मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है। हालांकि, उस चुनाव में ओवैसी के प्रत्याशी ने बहुत अधिक प्रचार प्रसार नहीं किया था।
फिर भी क्षेत्र के जाले और केवटी और जाले विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम गांवों तक पतंग की उड़ान पहुंची थी। आम मतदाता मजलिस के चुनाव चिह्न से परिचित तो अवश्य हैं। लेकिन, दरभंगा लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले गौड़ाबौराम विधानसभा क्षेत्र में पहली बार मजलिस के उम्मीदवार पतंग पर उड़ाकर मतदाताओं के घर दस्तक देंगे।
बता दें कि जाले में 50 हजार और केवटी में भी 50 हजार अल्पसंख्यक समुदाय के मत होने का दावा किया जाता है। गौड़ाबौराम में भी करीब 40 हजार मत बताया जा रहा है।
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