Lalit Narayan Mithila University : उद्यमिता में आने वाली चुनौतियों में अवसर छिपे होते
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में उद्यमिता पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। वक्ताओं ने कहा कि उद्यमिता की चुनौतियों में ही अवसर छिपे होते हैं, और युवाओं को इनके लिए तैयार रहना चाहिए। कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित करना और उन्हें अपने विचारों को वास्तविकता में बदलने के तरीके बताना था। LNMU छात्रों को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में संगोष्ठी का उद्घाटन करते अतिथि। जागरण
जागरण संवाददाता, दरभंगा। व्यवसाय का लक्ष्य लाभ कमाना होता है। उद्यमिता का उद्देश्य नवाचार, प्रभाव और परिवर्तन को बढ़ावा देना है। व्यवसाय मौजूदा माडल पर चलता है। जबकि उद्यमी नया माडल बनाता है। निरंतर विकास की दिशा में अग्रसर रहता है।
प्रत्येक उद्यमी व्यावसायी होता है। लेकिन व्यावसायी उद्यमी हो यह जरूरी नहीं। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय उद्यमिता दिवस पर वाणिज्य विभाग की शिक्षिका डा. निर्मला कुशवाहा ने कही। कहा कि उद्यमिता में आने वाली चुनौतियों जैसे जोखिम का भय, पूंजी की कमी, कौशल अंतर और बढ़ती प्रतिस्पर्धा में ही अवसर छिपे होते हैं।
भारत सरकार की सहायक नीतियां, फंडिंग प्लेटफार्म, विस्तार पाता वैश्विक बाजार और डिजिटल प्लेटफार्म युवाओं के लिए नए मार्ग खोल रहे हैं। उन्होंने सफल महिला उद्यमियों के उदाहरण देकर यह बताया कि महिलाएं भी नवाचार और आर्थिक परिवर्तन की अग्रदूत बन रही हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में 1.25 लाख से अधिक पंजीकृत उद्यमी शिक्षा-तकनीक, कृषि-तकनीक, ऊर्जा और डिजिटल सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन ला रहे हैं। उन्होंने रतन टाटा, फाल्गुनी नायर और दीपेंद्र गोयल सरीखे भारतीय उद्यमियों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे एक विचार पूरे उद्योग जगत को बदल सकता है।
कहा कि असफलता से डरने की आवश्यकता नहीं है, पुनः प्रयास करना ही सफलता का मार्ग है। कठिन परिश्रम, स्पष्ट दिशा तथा समाज एवं राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी के भाव से किया गया कार्य ही वास्तविक उद्यमिता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं में उद्यमिता के महत्व, नवाचार की क्षमता और आत्मनिर्भरता के महत्व को उजागर करना था।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विभागाध्यक्ष डा. अम्बरीष कुमार झा ने कहा कि उद्यम और उद्यमशीलता की अवधारणा का ऐतिहासिक संदर्भों के साथ विस्तृत विश्लेषण अपेक्षित है। उन्होंने मध्यकालीन भारत के आर्थिक परिदृश्य और गांधी द्वारा स्वदेशी उद्यम को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी उद्यम न केवल आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग था , बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन में एक शक्तिशाली हथियार भी था। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि यदि उनके पास जज्बा और जुनून हो तो वे जोखिम वहन एवं निर्णय-निर्धारण क्षमता के बल पर सफल उद्यमी बन सकते हैं।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ स्वागत गीत एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। विषय प्रवेश कराते हुए विभागीय शिक्षक नवीन कुमार ने 'उद्यमिता दिवस' के अर्थ एवं प्रासंगिकता को स्पष्ट करते हुए कहा कि स्टार्टअप एवं लघु उद्योग भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ हैं।
कहा कि भारत के विशाल युवा वर्ग के पास कल्पनाशक्ति, ऊर्जा और साहस है उन्हें सही मार्गदर्शन, संसाधन और अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है। उद्यमिता ही वह मार्ग है जो भारत को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बना सकता है। कार्यक्रम के अंत में भाषण प्रतियोगिता एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में विभागीय शिक्षक डा. मशरूर आलम, डा. प्रनतारति भंजन भी मौजूद थे। प्राध्यापिका डा. शीला यादव ने धन्यवाद ज्ञापित और आदित्य कुमार ने संचालन किया।

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