Darbhanga : जिस केंद्र से बचनी थी मासूमों की जान, वहां कुपोषित बच्चे क्यों नहीं आते?
Bihar News : दरभंगा के बेनीपुर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र की हालत चिंताजनक है। कुपोषित बच्चों के लिए बने इस केंद्र में बच्चे नहीं आ रहे, जिससे ...और पढ़ें

पुनर्वास केंद्र में खाली पड़े कुपोषित बच्चों के बेड। जागरण
संवाद सहयोगी, बेनीपुर (दरभंगा)। दरभंगा जिले के बेनीपुर अनुमंडलीय अस्पताल में संचालित जिलास्तरीय पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) की हालत खराब है। कहने के लिए तो यह जिलास्तरीय पोषण पुनर्वास केंद्र है, लेकिन इस केंद्र पर जिले के विभिन्न प्रखंडों के एक भी कुपोषित बच्चे नहीं आते हैं।
बेनीपुर प्रखंड के एक- दो बच्चे यदा-कदा इस केंद्र पर आते भी हैं तो उन्हें मेन्यू के हिसाब से भोजन नहीं दिया जाता है। बताया जाता है कि उक्त केंद्र पर एक साथ 40 बच्चों को 14 दिनों तक पुनर्वास में रखकर सुपोषित करने की योजना है।
इसके लिए प्रति कुपोषित बच्चे को भोजन पर 90 रुपये तथा उनके माता के भोजन पर 160 रुपये के अलावा प्रतिदिन 300 रुपये पारिश्रमिक देने का भी प्रविधान है, लेकिन उस रुपये को फर्जी वाउचर बनाकर बंदरबांट कर लिया जाता है।
इसके तहत जिले के सभी प्रखंडों के कुपोषित बच्चों को स्वस्थ एवं सुंदर बनाने के लिए सरकार ने यह योजना चला रखी है। इस पोषण केंद्र के नियमित रूप से संचालन के लिए फिडिंग डिमोस्ट्रेटर एवं एएनएम सहित कई स्टाफ कार्यरत हैं।
लेकिन कर्मियों , अधिकारियों एवं संवेदकों की मिलीभगत के कारण इस योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। फिलहाल इस पोषण पुनर्वास केंद्र में एक भी कुपोषित बच्चे नहीं हैं। मंगलवार को केंद्र पर एएनएम अल्पना कुमारी मौजूद थीं। केंद्र के जीएनएम मनोज कुमार ,गौरव तथा ब्रजमोहन स्वास्थ्य प्रबंधक के साथ मीटिंग कर रहे थे।
जबकि जीएनएम रजनीश अनुमंडलीय अस्पताल दवा काउंटर पर लोगों के बीच दवा बांट रहे थे। एक कर्मी छह माह से छुट्टी पर हैं। अस्पताल में मौजूद गरीब पासवान , मो. कादिर , निर्मला झा , बैकुंठ झा आदि ने कहा कि इस पोषण पुनर्वास केंद्र से कुपोषित बच्चों को कोई फायदा नहीं हो रहा है।
अनुमंडल क्षेत्र में 10 हजार से अधिक कुपोषित बच्चे हैं लेकिन आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं आशा कुपोषित बच्चों को इस केंद्र पर नहीं लाते हैं जबकि सिविल सर्जन द्वारा इस जिलास्तरीय पोषण पुनर्वास केंद्र पर कुपोषित बच्चों को लाने की जिम्मेवारी उनलोगों पर भी निर्धारित की हुई है।
इस केंद्र पर कुपोषित बच्चों को लोने की जिम्मेवारी आशा, आंगनबाडी सेविका एवं सहायिका को भी है जिसमें एएनएम को सहयोग करना है, लेकिन बच्चे नहीं आ रहे हैं।
--राहुल सिंह, स्वास्थ्य प्रबंधक।

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