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    Makhana Farming: मखाना की नर्सरी डालने से पहले ये 5 काम जरूर कर लो, नहीं तो लाखों का नुकसान!

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 03:38 PM (IST)

    दरभंगा जिला रबी फसलों के लिए अग्रणी है, जहाँ मखाना, गोभी, मटर, गेहूं आदि उगाए जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार, नवंबर-दिसंबर मखाना नर्सरी के लिए उत्तम है। बुआई से पहले गोबर खाद डालें, जुताई के समय यूरिया, डीएपी, पोटाश मिलाएं। मिट्टी परीक्षण कराएं और बीजों को उपचारित करें। खेतों को साफ रखना भी आवश्यक है।

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    माखाना की खेती

    संवाद सहयोगी, जाले। रबी फसलों की खेती के लिए दरभंगा जिला का उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र अग्रणी है। मिथिलांचल के भूभाग में रबी फसल में मखाना, फूल गोभी, पत्ता गोभी, हरी मटर, लौकी एवं अनाज में गेहूं, चना मसूर व सरसों आदि की खेती की जाती है। 

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    कृषि विज्ञान केंद्र जाले के उद्यान विज्ञानी डॉ. प्रदीप कुमार विश्वकर्मा के अनुसार, नवंबर व दिसंबर महीना मखाना की नर्सरी डालने का सही समय है। इसके साथ सब्जियों में जैसे आलू, हरी मटर और सरसों, मसूर एवं गेहूं की बुआई का उपयुक्त समय है। 

    फसल की बुआई से पहले खेत की तैयारी के समय सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट की सौ- 125 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में अच्छी तरह बिखेरकर जुताई करना चाहिए। यह मिट्टी की जलधारण क्षमता और पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाती है। 

    जुताई के समय की जरुरी बातें

    जुताई के समय 50 किलोग्राम यूरिया, 80 किलोग्राम डीएपी खाद, 60 किलोग्राम पोटाश और 20 से 30 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाना चाहिए, इससे खेत की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी होगी और फसल की पैदावार भी बेहतर होगी।

    ध्यान रहे कि खेतों की मिट्टी जांच अवश्य कराएं एवं खेत की अच्छी तरह से तैयारी के बाद शरदकालीन उद्यानिकी एवं अन्य फसलों की बोआई की शुरुआत कर सकते हैं।

    मिट्टी परीक्षण एवं बीज का उपचार जरूरी

    फसल की बुआई से पहले दो बहुत ही महत्वपूर्ण काम होते हैं। इसमें पहला मिट्टी का परीक्षण है, जिससे यह पता चल सके कि मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है ताकि फसलों को उसकी आपूर्ति की जा सके एवं दूसरा फसलों को बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों का उपचार अवश्य करना चाहिए। 

    खेती शुरू करने से पहले खेतों की सफाई जरूरी है। झाड़ियों और मेंड़ों पर उगे अवांछित पौधों में छिपे कीट और रोग बाद में फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए खेत के साथ-साथ उसके आसपास की घास-फूस, झाड़ियों और खरपतवारों की भी सफाई कर लेनी चाहिए।